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जेल में छलके आंसू,लिया रक्षा का संकल्प, गौ माता बाधा रक्षा सूत्र
अनूपपुर, 9 अगस्त (हि.स.)। सावन पूर्णिमा का पावन पर्व रक्षा बंधन शनिवार को पूरे देश सहित जिले में श्रद्धा, स्नेह और उल्लास के साथ मनाया गया। तड़के से ही घर-घर में तैयारियां शुरू हो थी, बहनों ने थाल सजाए, राखियां, मिठाइयां और अक्षत के साथ आरती की थाल में दीप प्रज्ज्वलित किया, और भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनके जीवन में सुख, शांति, स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना की। बदले में भाइयों ने भी बहनों की रक्षा और सम्मान का संकल्प लिया। मंदिरों, घरों और बाजारों में सुबह से ही रौनक दिखाई दी। रंग-बिरंगी राखियों से सजी दुकानें, मिठाई की महक और रिश्तों की गर्माहट ने माहौल को और भी खुशनुमा बना दिया। इस बार बाजारों में रामलला वाली राखियों, पर्यावरण-हितैषी राखियों और हाथ से बनी डिजाइनर राखियों की सबसे ज्यादा मांग रही।
मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में शनिवार को मंदिरों में सुबह से ही पूजा अर्चना के लिए लोग पहुंचें। मंदिरों में भगवान की विशेष पूजा के साथ जलाभिषेक व अनुष्ठान किया गया। रामजानकी मंदिर सहित जिले भर की विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालु पूजन अर्चन कर भगवान को भोग प्रसाद व राखियां चढ़ाई। बाजार में दिनभर लोगों की भीड़ बनी रही है। कपड़े, मिठाई व राखियों के साथ फल की दुकानों में बहनों ने जमकर खरीदारी की। जेल में भाइयों को राखी बांधने के लिए बहनों की लंबी कतार लगी रही। त्योहार को लेकर जेल प्रबंधन आवश्यक दिशा निर्देश के साथ बहनों को राखी बांधने की अनुमति दी।
सावन मास के पूर्णिमा को मनाई जाने वाली भाई-बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व शनिवार 9 अगस्त को भाइयों की कलाइयों में राखी बांधने का क्रम देर शाम तक चला। बहनों ने अपने भाईयों के माथे पर चंदन तिलक के साथ कलाई पर रेशम की पवित्र डोर को बांध अपनी रक्षा का वचन लिया। पूर्णिमासी व रक्षाबंधन के कारण मंदिरों में पूजा पाठ कर बहनों ने राखी से सजाया हुआ थाल भाईयों के समक्ष रखें, तथा तिलक लगाकर उसे यशस्वी होने की दुआएं देते हुए उनकी बलाओं को अपने हाथों में समेट मिलया। वहीं भाई भी रेशम की डोर की लाज निभाने बहन की अस्मिता की रक्षा का संकल्प लिया। बाजार गुलजार रहें पर्व की विशेष चहल पहल बनी रही। स्थानीय बाजारों में राखियों व मिठाईयों की जमकर खरीदी हुई, उपहार के लिए भी दुकानों पर भीड़ बनी रही।
रक्षाबंधन का पर्व जिले के कोतमा, बदरा, भालूमाड़ा, राजनगर, बिजुरी, अमरकंटक, जैतहरी, चचाई सहित अन्य ग्रामीण इलाकों में हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया गया। कोतमा में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का त्यौहार रक्षाबंधन पारंपरिक रूप से मनाया गया। सुबह से शाम तक बहनों द्वारा अपने भाईयों को राखी बांधने का दौर चलता रहा। रांखी बांधकर जहां बहनो ने अपने भाई की सलामती एंव लम्बी उम्र की कामना की, वही भाईयों के द्वारा भी रक्षा करने का संकल्प लिया गया।
जेल में बंद भाईयों की कलाईयों पर राखी बांधने उमड़ी बहनें
अलग-अलग अपराधों में परिरुद्ध बंदियों को उनकी बहनों के द्वारा जिला जेल में बांधी गई राखी, जेलर द्वारा की गई व्यवस्था, सभी बहनों ने अपने भाइयों से उम्मीद किया कि दोबारा जेल न जाना पड़े। जिला जेल अनूपपुर में बहनों अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने अनूपपुर जेल पहुंची। बंदियों की बहनों ने भाईयों की कलाई पर राखियां बांधी। बहनों के इस प्रेम में भाईयों के आंखों की सूखी आंसू हिलारे लेकर एक-एक कर टपकने लगी। भाई-बहनों ने एक दूसरे के हाल जाने, वहीं भाईयों ने बहनों को रक्षा का संकल्प दिया।
जिला जेल के उप जेल अधीक्षक इन्द्रदेव तिवारी ने बताया है किने बताया कि जिला जेल में बंद हवालाती व कैदियों को राखी बांधने के लिए जेल प्रबंधन ने सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक समय निर्धारित किया था। बहनों को राखी बांधने के लिए टोकन सिस्टम से अनुमति दी गई। प्रबंधन ने मिठाई, राखी व रूमाल के साथ बहनों को अंदर जाने प्रवेश दिया। इसके लिए जेल में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के साथ अलग व्यवस्था बनाई गई थी। अधिकारियों के उपस्थित में बहनों ने भाइयों की कलाई में राखी बांधी। इस दौरान महिला बंदियों से भी राखी बंधवाने भाई पहुंचे थे। जिन्हे खुली मुलाकात करवाकर प्रबंधन ने रक्षासूत्र बंधवाया।
जिला जेल अनूपपुर में 315 पुरूष एवं 16 महिला बंदियों में 166 बंदियों को 623 बहनो के साथ बच्चोंा सहित ने रक्षाबंधन पर्व पर अपने भाइयों एवं भाइयों ने अपनी बहनों के कलाई में राखी बांधा।
गौ माता बाधा रक्षा सूत्र
वहीं कुछ लोगो ने रक्षाबंधन के पावन पर्व गौशाला में गौ माता को रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद प्राप्त किया। रक्षा सूत्र एक ऐसा धागा है जिसे गायों को बुरी शक्तियों और बीमारियों से बचाने के लिए बांधा जाता है। यह एक प्राचीन प्रथा है जो हिंदू धर्म में गायों के महत्व और उनके प्रति सम्मान को दर्शाती है।
उत्साह एवं श्रद्धा पूर्वक मनाया गया कजलईया पर्व
रक्षाबंधन के दूसरे दिन 10 अगस्त को कजलईया का पर्व बड़े ही उत्साह एवं श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। कोतमा नगर के पंचायती मंदिर एवं पुरानी बस्ती से शाम कजलईया का जुलूस निकाला गाया, जो भजन कीर्तन करते हुए बस स्टैंड पुरनिहा तालाब एवं मनेन्द्रगढ़ रोड स्थित केरहा तालाब में कजलईयों के विसर्जन के साथ समाप्त होगा। शाम से छोटे-छोटे बच्चे एवं बडे बुजुर्ग कजलईया लेकर एक दूसरे के घरों में पहुंचकर गले मिलेगें। कजलईया पर्व हिन्दू त्यौहारो में मुख्य पर्व माना जाता है जिसमें लोग एक दूसरे से गले मिलकर अपनी खुशियां बांटते है। यह क्रम शाम से शुरू होगा जो देर रात तक निरंतर चलेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला