रेल दुर्घटनाओं में आई भारी कमी, व्यापक हुआ सुधार : अश्विनी वैष्णव
नई दिल्ली, 8 अगस्त (हि.स.)। भारतीय रेल ने सुरक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि बीते वर्षों में रेल हादसों की संख्या में भारी गिरावट आई है। वर्ष 2004 से 2
रेल दुर्घटनाओं में आई भारी कमी, व्यापक हुआ सुधार : अश्विनी वैष्णव


नई दिल्ली, 8 अगस्त (हि.स.)। भारतीय रेल ने सुरक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि बीते वर्षों में रेल हादसों की संख्या में भारी गिरावट आई है। वर्ष 2004 से 2014 के दौरान जहां कुल 1,711 गंभीर रेल हादसे हुए (औसतन 171 प्रति वर्ष), वहीं 2024–25 में यह संख्या घटकर केवल 31 रह गई और 2025–26 में (जून तक) सिर्फ तीन प्रमुख रेल दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं।

उन्होंने कहा कि देश में गंभीर रेल हादसों के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2014–15 में 135 गंभीर रेल हादसे दर्ज हैं जबकि 2024–25 में यह घटकर 31 रह गए। इसी प्रकार 2025–26 (जून तक) केवल 3 गंभीर रेल दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं। उन्होंने कहा कि यह सुधार रेलवे की सुरक्षा प्राथमिकताओं और निरंतर प्रयासों का परिणाम है।

रेल मंत्री ने बताया कि ‘प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर दुर्घटनाएं (एपीएमटी किमी) सूचकांक में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो 2014–15 में 0.11 से घटकर 2024–25 में 0.03 हो गया है, यानी करीब 73 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

उन्होंने बताया कि रेलवे ने सुरक्षा मद में खर्च में तीन गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। 2013–14 में जहां कुल खर्च 39,463 करोड़ रुपये था, वहीं 2025–26 के लिए यह अनुमानित खर्च 1,16,470 करोड़ रुपये हो गया है। यह खर्च ट्रैक मेंटेनेंस, ब्रिज वर्क्स, रोड अंडर ब्रिज/ओवर ब्रिज, आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम और रोलिंग स्टॉक की देखरेख जैसे कार्यों पर किया जा रहा है।

रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे में तकनीकी उन्नयन और संरचना सुधारों से सुरक्षा में व्यापक सुधार हुआ है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग अब तक 6,635 स्टेशनों पर स्थापित की जा चुकी है। 11,096 लेवल क्रॉसिंग गेट्स का इंटरलॉकिंग किया गया है। 6,640 स्टेशनों पर ट्रैक सर्किटिंग की सुविधा दी गई है। कवच जैसी आधुनिक रेल सुरक्षा प्रणाली 1548 किलोमीटर रूट पर लगाई जा चुकी है, और दिल्ली-मुंबई व दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर पर 3000 किलोमीटर पर कार्य प्रगति पर है।

उन्होंने बताया कि कोहरे के दौरान दृश्यता कम होने पर भी सुरक्षा के लिए उपाय किए गए हैं। 25,939 लोको पायलट्स को जीपीएस आधारित फॉग सेफ्टी डिवाइस उपलब्ध कराए गए हैं। रिफ्लेक्टिव सिग्नल बोर्ड्स भी लगाए गए हैं ताकि कम दृश्यता में भी संकेतों को पहचाना जा सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार