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- दस्तावेजों का पेपरलेस ई-पंजीयन करने वाला देश का पहला राज्य बना मध्य प्रदेश, मुख्यमंत्री ने दी बधाईभोपाल, 08 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर 10 अक्टूबर 2024 को राज्य स्तर पर शुरू किए गए संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर ने मध्य प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। इस अभिनव पहल को वर्ष 2025 का ‘राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार’ में ‘स्वर्ण’ श्रेणी का सम्मान प्राप्त हुआ है। भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा यह पुरस्कार डिजिटल परिवर्तन के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा सरकारी प्रक्रिया का पुनर्रचना (Government Process Re-engineering by use of technology for Digital Transformation) श्रेणी में प्रदान किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को सोशल मीडिया एक्स पर इस उपलब्धि पर प्रदेशवासियों, वाणिज्यिक कर विभाग, महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक तथा परियोजना से जुड़े सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “संपदा 2.0 ने मध्य प्रदेश को डिजिटल भूमि प्रबंधन के क्षेत्र में देश में अग्रणी बनाया है। यह पहल न केवल पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाएगी, बल्कि लोगों को बिना कार्यालय आए, सुरक्षित और सरल तरीके से पंजीयन सुविधा उपलब्ध कराएगी। यह हमारे डिजिटल और सुशासन के संकल्प का महत्वपूर्ण कदम है।”
भूमि प्रबंधन में विभाग की एक ऐतिहासिक पहल : उप मुख्यमंत्री देवड़ा
राज्य के उप मुख्यमंत्री तथा वाणिज्यिक कर एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने इस उपलब्धि को भूमि प्रबंधन में विभाग की एक ऐतिहासिक पहल बताया और प्रदेशवासियों को बधाई दी। उप मुख्यमंत्री देवड़ा ने बताया कि मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने दस्तावेजों का पूर्णत: पेपरलेस ई-पंजीयन प्रारंभ किया है। भारतीय स्टाम्प अधिनियम के अंतर्गत लगभग 140 प्रकार के दस्तावेजों में से 75 दस्तावेजों का वीडियो के-वाई-सी के माध्यम से फेसलेस पंजीयन संभव हुआ है, जिसमें उप-पंजीयक कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं रहती। यह प्रक्रिया इम्परसनेशन एवं भूमि संबंधी विवादों को कम करने में भी सहायक सिद्ध होगी।
उन्होंने बताया कि संपदा 2.0 में जीआईएस तकनीक सहित अत्याधुनिक डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध हैं। अब कोई भी व्यक्ति कहीं से भी, कभी भी, www.sampada.mpigr.gov.in पोर्टल के माध्यम से ई-स्टांप प्राप्त कर सकता है। इसके मोबाइल ऐप से राज्य की किसी भी क्षेत्र की गाइडलाइन दरें तत्काल देखी जा सकती हैं।
पूर्ववर्ती संपदा 1.0 की तुलना में संपदा 2.0 में पक्षकारों और संपत्ति की पहचान आधार ई-ओथ एवं ई-केवाईसी के माध्यम से की जाती है, संपत्ति का विवरण संबंधित विभाग से सीधे एकीकृत कर लिया जाता है और दस्तावेज का प्रारूपण स्वचलित रूप से विधिक आवश्यकताओं सहित तैयार होता है। दस्तावेजों पर ई-साइन अथवा डिजिटल साइन से हस्ताक्षर किए जाते हैं और पंजीयन पूर्ण होते ही ईमेल और व्हाट्सऐप पर उपलब्ध हो जाते हैं।
जनसम्पर्क अधिकारी संतोष मिश्रा ने बताया कि यह सम्मान 28वें नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन ई-गवर्नेंस में प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार की घोषणा केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रस्तुतीकरण, ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे एवं पुष्टिकरण की तीन-स्तरीय प्रक्रिया के बाद की गई है।________________
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर