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कोलकाता, 08 अगस्त (हि.स.)। आर.जी. कर कांड के एक साल पूरे होने पर शनिवार को होने वाले नवान्न अभियान को लेकर पुलिस ने वैकल्पिक स्थल निर्धारित किया है। आर.जी. कर पीड़िता के माता-पिता द्वारा बुलाई गई इस ‘अराजनीतिक’ रैली में भाग लेने के लिए तृणमूल को सभी से अपील की गई है, लेकिन पुलिस का कहना है कि अब तक आयोजकों की ओर से कोई आधिकारिक आवेदन नहीं मिला है।
शुक्रवार को भवानी भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एडीजी (कानून-व्यवस्था) जावेद शमीम, एडीजी (दक्षिण बंगाल) सुप्रतिम सरकार और पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा ने कहा कि शांतिपूर्ण रैली पर पुलिस को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन नवान्न के आसपास भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 लागू है, जिसके तहत किसी भी तरह का जमावड़ा प्रतिबंधित है। इसलिए प्रदर्शन के लिए मंदिरतला बस स्टैंड, बंकिम सेतु के नीचे और हावड़ा मैदान को तय किया गया है। इन तीनों स्थानों पर मिलाकर 1200 लोग एक साथ उपस्थित हो सकते हैं।
कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार, वैकल्पिक स्थल के रूप में सांतरागाछी बस स्टैंड को भी चुना गया है, जहां शांतिपूर्ण रैली की अनुमति होगी और प्रशासन पूरी मदद करेगा। हालांकि, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में पुलिस कानूनन कार्रवाई करने को बाध्य होगी।
इस बीच, आर.जी. कर कांड के विरोध में शुक्रवार रात वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने शहरभर में ‘रात-दखल’ कार्यक्रम का आह्वान किया। श्यामबाजार पांचमाथा मोड़ पर आयोजित इस कार्यक्रम में तिलोत्तमा के माता-पिता के भी शामिल होने की संभावना है। शनिवार के नवान्न अभियान में तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भाग लेने का निमंत्रण दिया गया है, लेकिन आयोजकों ने दल के झंडों के इस्तेमाल पर रोक लगाई है।
हाई कोर्ट में इस अभियान के खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि इस तरह के अभियानों से आम लोगों, स्कूली बच्चों और ऑफिस जाने वालों को भारी परेशानी होती है। हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने माना कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन संवैधानिक अधिकार है, लेकिन पुलिस की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनजर अभियान को रोका भी जा सकता है। अदालत ने प्रतिभागियों को सरकारी संपत्ति या पुलिस अधिकारियों को नुकसान न पहुंचाने की सलाह दी है।
कालीघाट इलाके में ‘अभया मंच’ और चिकित्सकों के संयुक्त मंच द्वारा निकाले जाने वाले एक अन्य जुलूस पर भी हाई कोर्ट ने फिलहाल कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। अदालत ने कहा कि चूंकि पुलिस ने अनुमति नहीं दी है, इसलिए इस समय हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर