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कोलकाता, 08 अगस्त (हि.स.)। नोबेल पुरस्कार विजेता महान कवि, लेखक और चिंतक रवींद्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि ‘बाइसे श्रावण’ पर भाजपा आईटी सेल के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के केंद्रीय पर्यवेक्षक अमित मालवीय ने तृणमूल कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने पार्टी को बांग्ला भाषा का “फर्जी पैरोकार” करार देते हुए आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस भाषा और पहचान के मुद्दे पर झूठा और विभाजनकारी विवाद खड़ा कर रही है।
मालवीय का बयान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दो सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आया, जिनमें से एक शुक्रवार सुबह और दूसरा गुरुवार को किया गया था। इन पोस्ट में ममता ने लिखा था कि गुरुदेव ठाकुर मौजूदा परिस्थितियों में भी उनके लिए प्रेरणा बने हुए हैं, खासकर तब, जब बांग्ला भाषी लोगों को देश के विभिन्न हिस्सों में, विशेष रूप से भाजपा शासित राज्यों में, कथित तौर पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
अमित मालवीय ने अपने शुक्रवार सुबह के सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के सहयोगी, बंगाल और भारतीय बंगालियों की भाषा व पहचान को लेकर एक झूठा विवाद पैदा कर रहे हैं, जो गुरुदेव ठाकुर की भारतीय एकता की भव्य सोच से कभी मेल नहीं खा सकता।
उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया कि यह “बांग्ला भाषा के फर्जी पैरोकार” पश्चिम बंगाल में उर्दू को राजकीय भाषा के रूप में बढ़ावा देकर एक खास वर्ग की विरोधी-बांग्ला मानसिकता को तुष्ट करते हैं। मालवीय ने कहा कि ऐसे लोग ठाकुर के ‘एक जीवन की समरसता’ के विचार को कमजोर कर रहे हैं।
भाजपा नेता ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बांग्ला भाषा की समृद्ध धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। उन्होंने दावा किया कि आज़ादी के बाद किसी भी सरकार ने बांग्ला भाषा को भारत की सबसे प्रमुख भाषाओं में से एक के रूप में इतनी गंभीरता से मान्यता नहीं दी, जितनी मोदी सरकार ने दी है।
मालवीय के अनुसार, बंगाल और बंगालियों की भाषा ने ऐसे कवियों, लेखकों और विद्वानों को जन्म दिया है, जिन्होंने न केवल बंगाल की सांस्कृतिक को पहचान दिया, बल्कि भारत की राष्ट्रीय चेतना को भी गढ़ा। उन्होंने कहा कि संस्कृत महाकाव्यों के शुरुआती अनुवादों से लेकर 19वीं और 20वीं सदी के क्रांतिकारी साहित्य तक, बांग्ला साहित्य ने सामाजिक, राजनीतिक और बौद्धिक आंदोलनों को गति दी है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मोदी सरकार ने तीन अक्टूबर 2024 को बांग्ला को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया, जो इसके भारतीय चिंतन और इतिहास को आकार देने में निभाई गई गहरी भूमिका का औपचारिक सम्मान है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर