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- स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती से संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ी
मीरजापुर, 7 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले में गंगा और कर्णावती नदी के जलस्तर में गिरावट के बाद बाढ़ का पानी तो उतर गया है, लेकिन तटवर्ती गांवों में नई मुसीबत खड़ी कर गया है। पानी में डूबकर खराब हाे चुकी फसलों से उठ रही दुर्गंध से ग्रामीणों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। दूषित पेयजल के इस्तेमाल से जलजनित बीमारियों के फैलने की आशंका गहराती जा रही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
जिले के पश्चिमी छोर पर स्थित चेहरा गांव से लेकर बबुरा-अकोढ़ी मार्ग तक और कर्णावती नदी के मुहाने पर बसे देवरी, महड़ौरा, बिरोही जैसे कई गांव संक्रमण की चपेट में आने की कगार पर हैं। इन क्षेत्रों में महामारी की स्थिति से बचाव के लिए अभी तक स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता नहीं दिख रही है। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि त्वरित राहत और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाएं ताकि संभावित महामारी पर काबू पाया जा सके।
विजयपुर सर्रोंई पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. रत्नाकर मिश्रा ने बताया कि मंडलीय अस्पताल के केंद्रीय भंडार कक्ष से अब तक ब्लीचिंग पाउडर की आपूर्ति नहीं की गई है, जबकि एक सप्ताह पहले ही डिमांड भेज दी गई थी। उन्हाेंने ग्रामीणों को दूषित जल से बचने के लिए क्लोरीन टेबलेट के उपयोग की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि एएनएम के माध्यम से किनारे के गांवों में ओआरएस, जिंक और क्लोरीन टेबलेट का वितरण शुरू कराया गया है। यदि ग्रामीण चाहें तो पीएचसी से स्वयं भी यह सामग्री प्राप्त कर सकते हैं।
कड़ी धूप से मिलेगी राहत
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक कड़ी धूप नहीं निकलेगी, तब तक सड़ी-गली फसलों से उठ रही दुर्गंध और जलजमाव से बीमारियों का खतरा बना रहेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा