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पुत्र वियोग संसार का सबसे बड़ा दुख : प्रेमानंद महाराज
आंतकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के परिजनों ने लिया संत प्रेमानंद महाराज आशीर्वाद
मथुरा, 07 अगस्त(हि.स.)। पहलगाम आतंकी हमले में अपनी जान गंवाने वाले शुभम द्विवेदी के परिजन गुरुवार को वृंदावन स्थित संत प्रेमानंद महाराज के पास पहुंचे और दर्शन कर आशीर्वाद लिया। प्रेमानंद महाराज को शुभम की आतंकियों द्वारा की गई निर्मम हत्या के बारे में जानकारी दी गई। शुभम द्विवेदी के परिवार ने संत प्रेमानंद महाराज से एकांत में आशीर्वाद लिया। मुलाकात में पत्नी ऐशान्या, पिता संजय द्विवेदी, चाचा पंडित मनोज द्विवेदी समेत कई परिजन मौजूद रहे। परिजनों ने बताया कि संत के प्रवचन से मानसिक सुकून मिला है।
इस दौरान शुभम की पत्नी ऐशन्या ने कहा- महाराज मेरे पति को आंखों के सामने मार दिया गया। मैं उस दृश्य को भूल नहीं पा रही हूं। पता नहीं क्यों ऐसा हो गया? उस दिन से मेरे सामने वही मंजर बार-बार आता है। इसके बाद फूट-फूटकर रोने लगती हूं। परिवार वाले मुझे संभालते हैं। इस पर प्रेमानंद महाराज ने ऐशन्या को समझाया। कहा- भगवान का नियम निश्चित होता है। जिसका जब समय तय होता है, वो उतना ही रहता है। शुभम द्विवेदी एक दिन आगे-पीछे वहां जाते तो, ऐसी घटना नहीं होती। लेकिन, उनकी आयु पूरी हो चुकी थी। इसीलिए ऐसा संयोग बना। जिनकी मृत्यु निश्चित थी, वो लोग वहां गए। ऐसी घटना हुई। काल को कोई दोष नहीं दे सकता। वो कभी हार्ट अटैक, एक्सीडेंट, तो कभी किसी बहाने से सामने वाले को निगल जाता है। हमें पता है कि इसे स्वीकार करना मुश्किल है। लेकिन, इस सत्य को जितना जल्दी मान लेंगे, दुख कम हो जाएंगे।
वो लीला होनी थी, वो हो गई, प्रेमानंद महाराज ने कहा वह दिन तय था, क्योंकि वो लीला होनी थी। मुझे पता है कि हृदय का दर्द कम नहीं होगा। लेकिन, जो मिट गया वो नहीं आ सकता। प्रकृति के अपने नियम होते हैं। जो समय आने पर इंसान को समझ आते हैं। इसलिए शुभम का पहलगाम में शहीद होना विधि का विधान है। प्रेमानंद महाराज ने परिवारजनों को इस दुख के समय नाम जाप करने की सलाह दी। कहा कि इसी से सबका कल्याण होगा। जो होना है वो होकर रहेगा। उन लोगों का वहां पहुंचना हुआ, जिनका प्रारंभ बना था।
प्रेमानंद महाराज बोले- हमले से मैं भी व्यथित था शुभम द्विवेदी के पिता संजय द्विवेदी ने पूछा- हमारा बेटा आतंकी हमले में मारा गया। मैं सब अच्छे और धर्म से काम करता हूं। लेकिन, मेरे साथ ऐसी घटना हो गई। इससे मन बहुत व्यथित है। इसके जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा- इस घटना से मेरा मन भी बहुत व्यथित था। पुत्र वियोग संसार का सबसे बड़ा दुख होता है। श्रीरामचरित मानस का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पुत्र वियोग में महाराज दशरथ ने प्राण त्याग दिए थे। लक्ष्मण शक्ति के समय स्वयं भगवान श्रीराम भी दुख के सागर में डूब गए थे। इसलिए संसार में पुत्र और भाई से बढ़कर कोई नहीं।
शुभम द्विवेदी के परिवार से पत्नी ऐशन्या, पिता संजय द्विवेदी, चाचा ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज कुमार द्विवेदी, सुरेश कुमार दुबे और अन्य परिजनों ने प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। करीब 10 मिनट तक महाराज ने परिवारवालों से चर्चा की।
हिन्दुस्थान समाचार / महेश कुमार