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औरैया, 07 अगस्त (हि. स.)। यमुना नदी का रौद्र रूप अब धीरे-धीरे शांत हो रहा है और जलस्तर में गिरावट के साथ गांवों से पानी निकलना शुरू हो गया है, लेकिन ग्रामीणों की मुश्किलें अभी भी कम नहीं हुई हैं। बाढ़ का पानी उतरने के बाद अब गांवों में कीचड़, जहरीले कीट, सांप-बिच्छू और संक्रमित वातावरण ने नई मुसीबतें खड़ी कर दी हैं।
गांवों में फैले कीचड़ से उठती दुर्गंध और उसके कारण संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। कई घरों में जहरीले सांप, बिच्छू घुसने लगे हैं, वहीं लोमड़ी और सियार जैसे जंगली जानवरों के रिहायशी इलाकों में पहुंचने से ग्रामीणों में डर का माहौल है।
बीमारियों से बचाव के लिए गांव-गांव पहुंच रही स्वास्थ्य टीमें
बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारियों से बचाव के लिए अयाना सीएचसी के डॉक्टर सुशील शर्मा के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार गांवों में जाकर दवाइयां बांट रही हैं। साथ ही लोगों को साफ-सफाई और जहरीले कीटों से बचाव के उपाय भी समझाए जा रहे हैं।
सड़क मार्ग बहाल, आवागमन हुआ सुगम
इधर, जगमनपुर-कंजोसा मार्ग खुलने के बाद भिंड की ओर आने-जाने वाले वाहनों की आवाजाही फिर से शुरू हो गई है। बीहड़ क्षेत्र अब जालौन और इटावा जनपदों से पुनः जुड़ गया है। पुलिस द्वारा लगाए गए बैरियर को हटा लिया गया है, हालांकि सुरक्षा व्यवस्था के तहत पुल के पास थाना प्रभारी ने पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी है।
प्रशासन की सतत निगरानी
प्रशासन लगातार बाढ़ प्रभावित गांवों की निगरानी कर रहा है और पीड़ितों को हरसंभव सहायता प्रदान की जा रही है। अधिकारियों द्वारा राहत कार्यों का निरीक्षण जारी है ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील कुमार