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गुवाहाटी, 07 अगस्त (हि.स.)। असम प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में आज मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग उठाई गई। राजीव भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में रिपुन बोरा ने मुख्यमंत्री डॉ. सरमा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि जब राज्य का मुख्यमंत्री जनता को सुरक्षा नहीं दे सकता और उन्हें अपनी सुरक्षा खुद करने के लिए हथियार उठाने को कहता है, तो यह स्पष्ट करता है कि मुख्यमंत्री शासन व्यवस्था में पूरी तरह असफल हो चुके हैं।
हाल ही में ऊपरी असम में ‘मियां परामर्श’ को लेकर जो कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी है, उस पर चिंता जताते हुए असम प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि जैसे असम के युवक-युवतियां काम की तलाश में अन्य राज्यों में जाते हैं, वैसे ही निचले असम के कुछ मुस्लिम नागरिक मजबूरी में ऊपरी असम में काम के लिए गए हैं। एक राज्य सरकार का मूल कर्तव्य है कि वह नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, लेकिन असम सरकार इस मामले में पूरी तरह विफल साबित हुई है।
उन्होंने कहा कि अगर कहीं विदेशी बांग्लादेशी नागरिक हैं, तो सरकार उन्हें चिन्हित कर निर्वासित करना चाहिए। लेकिन राज्य में हुई भीड़ हिंसा को मुख्यमंत्री द्वारा प्रायोजित बताना और कानून-व्यवस्था की स्थिति को चरम पर पहुंचने देना इस बात का प्रमाण है कि राज्यपाल को मुख्यमंत्री को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए।
संवाददाता सम्मेलन में बोरा ने कहा कि असम समझौते के तहत 25 मार्च 1971 के बाद आए किसी भी व्यक्ति को असम में रहने की अनुमति नहीं है। यह कांग्रेस पार्टी की अडिग स्थिति है। लेकिन संदिग्ध शब्द का उपयोग कर भारतीय नागरिकों को परेशान करना संविधान विरोधी है।
मुख्यमंत्री पर असमिया जाति, असमिया राष्ट्रवाद और असम के मूल निवासियों (खिलंजिया) को समाप्त करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति असम समझौते को रद्द कर सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) लागू कर सकता है, वह कैसे असम-प्रेमी हो सकता है?
असम समझौते की छठी अनुसूची के क्रियान्वयन पर टिप्पणी करते हुए बोरा ने कहा कि आपने सेवानिवृत्त न्यायाधीश बिप्लब शर्मा की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था और उस आयोग ने असम के मूल निवासियों की रक्षा हेतु जो रिपोर्ट सौंपी थी, उसे अक्षरशः लागू करने का वादा उन्होंने स्वयं किया था। लेकिन आज वह वादा कहां गया? यदि आप सचमुच असम-प्रेमी हैं, तो बिप्लब शर्मा आयोग की सिफारिशों को मानकर असमिया की सुरक्षा हेतु असम समझौते की छठी अनुसूची को लागू कर स्वयं को असम-प्रेमी साबित करें।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार खुद को 'खिलंजिया-प्रेमी' कहती है, लेकिन वास्तव में यह सरकार 'खिलंजिया विरोधी' है। इस सरकार ने हजारों बीघा जमीन रामदेव, अडानी और अंबानी के हाथों में सौंप दिया है, जिससे यह सिद्ध होता है कि यह सरकार असम के मूल निवासियों के अधिकारों को छीनने वाली सरकार है।
संवाददाता सम्मेलन में बोरा ने असम के सभी जातीय संगठनों से अपील की कि वे असम की सात पीढ़ियों से चली आ रही समन्वय की परंपरा की रक्षा करें। उन्होंने कहा कि असम के इतिहास और संस्कृति में हिंसा और नफरत के लिए कोई स्थान नहीं है। यह असम की भूमि शंकरदेव, लाचित बरफुकन और आजान फकीर की है। हम सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए।
संवाददाता सम्मेलन में असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जाकिर हुसैन शिकदार ने भी भाग लिया और कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार 'जाति, माटी और भेटी' (जाति, भूमि और नींव) की रक्षा के नाम पर असम के मूल निवासियों को ही परेशान कर रही है। यह सरकार जन-कल्याणकारी नहीं है और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को कुचल रही है। इसलिए ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर