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कानपुर, 05 अगस्त (हि.स.)। चिकित्सा क्षेत्र में नवजात व बच्चों का इलाज सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि नवजात अपना दर्द नहीं बता सकता और उसका इलाज चिकित्सक की शिक्षा व अनुभव पर निर्भर करता है। ऐसे में मंगलवार को महानगर मजिस्ट्रेट सीडब्ल्यूसी देवेन्द्र प्रताप सिंह ने टीम के साथ हैलट अस्पताल के बाल रोग विभाग का जायजा लिया।
उन्होंने एनआईसीयू, पीआईसीयू एवं थैलेसेमिया वार्ड का निरीक्षण किया और वेंटिलेशन को लेकर नाखुश दिखे। लेकिन यह नाराजगी कुछ ही देर में कमजोर हो गई जब उन्होंने पालना में अनाथ नवजात की चिकित्सीय के साथ स्टॉफ की मानवीय सुविधाओं को देखा। निरीक्षण में यह भी सामने आया कि मरीजों के सापेक्ष न तो चिकित्सक हैं और न ही स्टॉफ। इस पर उन्होंने कहा कि दोनों में बढ़ोत्तरी बहुत जरुरी है और इसके लिए शासन को पत्राचार किया जाएगा।
महानगर मजिस्ट्रेट सीडब्ल्यूसी कानपुर मंगलवार को टीम के साथ लाला लाजपत राय (हैलट) के बाल रोग विभाग का निरीक्षण करने पहुंचे। विभागाध्यक्ष डॉ. एसके गौतम और स्टॉफ के साथ उन्होंने एनआईसीयू, पीआईसीयू एवं थैलेसेमिया वार्ड की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने कुछ तीमारदारों से वार्ता भी की। जिस पर तीमारदारों ने अस्पताल की चिकित्सीय सेवाओं से संतुष्टि जाहिर की। अस्पताल में साफ सफाई की व्यवस्था ठीक मिली और सभी वार्डों में वेंटिलेशन के लिए कार्य करने के लिए निर्देशित किया। बच्चों के सभी 100 बेड पर ऑक्सीजन व्यवस्था पूर्ण पायी गई, जिस पर उन्होंने प्रशंसा की।
--शासन को किया जाएगा पत्राचार
विभागाध्यक्ष डॉ. एसके गौतम ने बताया कि अस्पताल में एनआईसीयू के 24 और पीआईसीयू के 20 बेड हैं। इस पर देवेन्द्र प्रताप सिंह ने बेड की संख्या बढ़ाने की बात कही जिस पर विभागाध्यक्ष ने बताया कि स्टॉफ की कमी है। अस्पताल में नौ डाक्टर हैं जिनमें तीन ही प्रोफेसर हैं। नर्सिंग स्टॉफ 12 हैं जिसमें छह आउटसोर्स के तहत हैं। यहां पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी जेआर प्रथम, द्वितीय व तृतीय निभाते हैं जिनकी संख्या 42 है। इसी प्रकार एसआर की संख्या 12 है। इस पर महानगर मजिस्ट्रेट ने कहा कि अस्पताल में चिकित्सक व स्टॉफ की बढ़ोत्तरी जरुरी है और शासन को पत्राचार किया जाएगा।
--तीन महीने में आ जाएगी पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन
विभागाध्यक्ष ने बताया कि तीन महीने में पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन अस्पताल में आ जाएगी। इसके लिए लगभग सभी प्रक्रियाएं हो चुकी हैं। इस मशीन के आ जाने से इलाज की प्रक्रिया और बेहतर होगी।
--थैलेसेमिया वार्ड को बढ़ाया जाए
देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि थैलेसेमिया वार्ड में 221 बच्चे पंजीकृत है जिनको नियमित रुप से प्रति माह आना होता है। उनके वार्ड को बड़ा करने की आवश्यकता है ताकि उनका प्रमुखता से उपचार हो सके।
इस दौरान विभागाध्यक्ष डॉ. एसके गौतम, डॉ. ए के आर्या, आरोग्य दर्पण के सीईओ रामप्रकाश वर्मा, मैट्रन राजकुमारी खरवार और स्टॉफ नर्स सहित कई वरिष्ठ कर्मचारी भी मौजूद रहे। सभी ने मिलकर अस्पताल के कार्यों और आवश्यक सुधारों पर चर्चा की।
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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह