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झाबुआ, 5 अगस्त (हि.स.)। मध्यप्रदेश कै झाबुआ जिला अंतर्गत आने वाले अनुविभागीय मुख्यालय थांदला में श्रावण मास के आखिरी सोमवार की रात डमरू निनाद, पऱंपरागत वाद्य यंत्रों की तुमुल ध्वनि और हर हर महादेव के जयघौष के बीच हरिहर महामिलन महोत्सव संपन्न हुआ। श्रावण सोमवार के अवसर पर थांदला नगर से करीब दो किलोमीटर दूर तलावली रोड स्थित श्री कल्लेश्वर महादेव मंदिर से भगवान् शिव की सवारी निकाली गई, जो नगर भ्रमण कर मध्यरात्रि के समय पुनः अपने स्थान पर पहुंची। कल्लेश्वर महादेव मंदिर से हरिहर महामिलन हेतु निकाली गई भगवान् शिव की यह सवारी संभवतः जिले में निकाली गई पहली ऐसी सवारी थी जिसमें किसी भी तरह से दिखावा नहीं करते हुए हमारे धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों को पूरे तौर पर तरजीह दी गई थी। वस्तुत: यह सवारी ऐतिहासिक रूप से अद्भुत और दिव्य थी।भगवान् शिव की एक अन्य सवारी नगर के ही काशी विश्वनाथ मंदिर से भी निकाली गई। शिवजी की सवारियों में भारी संख्या में श्रद्धालु जन शामिल हुए, और शोभायात्रा का नगर में जगह जगह भावपूर्ण स्वागत किया गया।
डमरू निनाद, पऱंपरागत वाद्य यंत्रों की तुमुल ध्वनि और जयघौष के बीच पालकी में विराजमान भगवान् शिव अपने प्रिय भगवान् श्रीहरि विष्णु से मिलने श्री विष्णु के मंदिर पहुंचे जहां हरिहर महामिलन महोत्सव संपन्न हुआ। पालकी में भगवान् शिव का रजत निर्मित स्वरुप प्रतिमा विराजमान की गई थी। भगवान् शिव की यह सवारी सर्व प्रथम प्राचीन श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर पहुंची, जहां पऱंपरागत वाद्य यंत्रों की तुमुल ध्वनि और हर हर महादेव के आनंददायक जयघौष के बीच पूजा अर्चना के बाद भगवान् श्री लक्ष्मीनारायण एवं भगवान् शिव की आरती उतारी गई। तत् पश्चात् भगवान् शिव की पालकी को विभिन्न मंदिरों में ले जाया गया, जहां शिव सवारी का स्वागत करते हुए विभिन्न प्रकार की भेंट चढ़ाकर आरती की गई। भगवान् शिव की इस दिव्य सवारी में बड़ी संख्या में हर वर्ग के लोग शामिल हुए। कल्लेश्वर महादेव मंदिर से हरिहर महामिलन हेतु निकाली गई भगवान् शिव की यह सवारी संभवतः जिले में निकाली गई पहली ऐसी सवारी थी जिसमें किसी भी तरह से दिखावा नहीं करते हुए हमारे धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों को पूरे तौर पर तरजीह दी गई थी। वस्तुत: यह सवारी ऐतिहासिक रूप से अद्भुत और दिव्य थी। भगवान् शिव की शोभायात्रा का नगर में जगह जगह भावपूर्ण स्वागत किया गया। सोमवार देर शाम निकली शिव सवारी मध्यरात्रि के करीब अपने स्थान पर पहुंची, जहां कल्लेश्वर महादेव मंदिर के संस्थापक एवं प्रधान सेवक गिरीशचंद्र धानक द्वारा भगवान् शिव की शयन आरती उतारी गई।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. उमेश चंद्र शर्मा