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जबलपुर, 5 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश के खनिज संसाधनों के लिए प्रसिद्द जबलपुर जिले की पहचान अब तक लौह अयस्क और मैगनीज के लिए जानी जाती थी,वहां अब 'सोने' का भंडार होने की संभावना सामने आई है। यह खोज सिहोरा तहसील के महगवां केवलारी क्षेत्र में हुई है,जहां पर खनिज विभाग की हालिया खोज से पूरे भूगर्भीय जगत में खुशी की लहर दौड़ गई है।
भौमिकी-खनिकर्म विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय कटंगा ने पुष्टि की है कि विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण और नमूनों के रासायनिक विश्लेषण में सोने की उपस्थिति पाई गई है।
विभाग ने अब इस क्षेत्र को प्राथमिकता पर लिया है और तेजी से आगे की जांच प्रक्रिया में जुट गया है, हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि सोना कितनी गहराई पर और किस ग्रेड में मौजूद है। विभाग के अनुसार, अगला चरण उस रिपोर्ट का होगा जो बताएगी कि जमीन में कितने प्रतिशत सोना है और उसे खनन योग्य माना जा सकता है या नहीं। विशेषज्ञों के अनुसार, 100 हेक्टेयर भूमि में सोने का भंडार होने की संभावना है।
विशेषज्ञों की मानें तो इस ज़मीन में कई टन सोना दबा हो सकता है यह भी मानना है कि अगर ग्रेडिंग संतोषजनक पाई गई,तो यह मध्य प्रदेश के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। इससे राज्य सरकार को भारी राजस्व मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
अपनी खनिज व वन्य संपदाओं के लिए दुनिया भर में अलग पहचान रखने वाले संस्कारधानी जबलपुर जिला पूर्व से ही लौह अयस्क और अन्य धातुओं के खनन के लिए विख्यात है। लौह अयस्क कई प्रदेशों के अलावा दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है। इनकी छोटी और बड़ी मिलाकर 42 खदानें अभी संचालित हो रही हैं। इसके अलावा लेटेराइट, मैग्नीज, सिलिका सेंड और लाइम स्टोन भी यहां मिलता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विलोक पाठक