विकास के बहाने खाड़ी का पुराव , मछुआरों पर रोजी रोटी का संकट
Fisherman in trouble due to filling up of bay


Fisherman in trouble due to filling up of bay


मुंबई 5 अगस्त ( हि.स,.) । ठाणे ज़िले में कोली समुदाय ने यह आरोप लगाया है कि विकास कार्यों के बहाने ठाणे जिले में खाड़ी किनारे पर मिट्टी अथवा निर्माण सामग्री से खाड़ी को पाटने अथवा पूरने का कार्य चल रहा है । लिहाजा इसके चलते पारंपरिक रूप से मछुआरों का मछली पकड़ने का व्यवसाय खतरे में पड़ता जा रहा है।बताया जाता है कि पारंपरिक रूप से मछुआरे रहे कोली समुदाय की आजीविका विकास के नाम पर एक बड़ा झटका झेल रही है। तेज़ी से हो रहे शहरी विकास, बंदरगाह परियोजना ठाणे जिले में, खाड़ी के भराव और खाड़ी व मुहाना क्षेत्रों में औद्योगिक अतिक्रमण के कारण मछली पकड़ने के लिए आवश्यक प्राकृतिक वातावरण दिन-प्रतिदिन नष्ट होता जा रहा है। इससे सदियों से चला आ रहा कोली समुदाय का पारंपरिक व्यवसाय खतरे में है और रोज़गार का मुख्य स्रोत छिन रहा है।

इसी पृष्ठभूमि में, अखिल भारतीय कोली समाज (पंजीकृत), दिल्ली की ठाणे ज़िला शाखा द्वारा आज ज़िला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन में राष्ट्रीय मत्स्य पालन नीति 2020 का हवाला देते हुए पारंपरिक मत्स्य पालन के लिए एक पूरक वातावरण बनाने की माँगें रखी गईं।

जैसा कि ज्ञापन में बताया गया है, खाड़ी के किनारे रहने वाले कोली समुदाय का जीवन चक्र पूरी तरह से मछली पकड़ने पर आधारित है। हालाँकि, विकास के नाम पर वर्तमान में चल रही परियोजनाओं के कारण, उनके प्राकृतिक जल संसाधन, जाल क्षेत्र, मछली प्रजनन क्षेत्र और विपणन सुविधाएँ सभी जलमग्न हो रही हैं। परिणामस्वरूप, सैकड़ों परिवार भुखमरी का सामना कर रहे हैं और मछुआरा समुदाय में छिपी हुई बेरोजगारी में भारी वृद्धि हुई है।

कोली समुदाय द्वारा निम्नलिखित पाँच प्रमुख माँगें रखी गई हैं -

1. गाँव और उप-गाँव को खाड़ी घोषित किया जाए और मछली पकड़ने के लिए आधिकारिक लाइसेंस जारी किए जाएँ।

2. पारंपरिक मछली पकड़ने के उपकरण (नाव, जाल, जाल) को कानूनी मान्यता दी जाए।

3. प्राकृतिक जलाशयों में मछली पालन की योजनाएँ लागू की जाएँ।

4. मछली बेचने के लिए स्थायी मछली बाज़ार की सुविधा प्रदान की जाए।

5. मछुआरा समुदाय के लिए विशेष निधि और विकास योजनाएँ लागू की जाएँ।

ठाणे जिला अध्यक्ष आनंद कोली के हस्ताक्षरों सहित इस ज्ञापन पर माँगें प्रस्तुत की गई हैं और सरकार से इस संबंध में सकारात्मक रुख अपनाने और पारंपरिक मत्स्य पालन को पुनर्जीवित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की पुरज़ोर माँग की गई है।

कोली समुदाय के पारंपरिक ज्ञान पर आधारित यह अर्थव्यवस्था न केवल स्थानीय लोगों का, बल्कि संपूर्ण जैव विविधता का भी हिस्सा है। इसलिए, इस ज्ञापन में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखते हुए मत्स्य व्यवसाय को संरक्षित रखना प्रशासन का नैतिक कर्तव्य है।आनंद कोली अखिल भारतीय कोली समाज नई दिल्ली, ठाणे जिला अध्यक्ष हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा