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नैनीताल, 04 अगस्त (हि.स.)। नैनीताल उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चर्चित रामपुर तिराहा कांड के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जो छह मामले दर्ज हुए थे वे किस कोर्ट में चल रहे हैं। उनकी क्या स्थिति है। जिस पर याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि जबसे मुकदमें दर्ज हुए हैं उनपर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। 30 साल बीत गए उनकी क्या स्थिति है, कोई पता नहीं है। छह मुकदमें जिला जज ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के एक पत्र पर इन मुकदमों को मुज्जफरनगर कोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया। तब से इनमें कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसलिए इनमें शीघ्र सुनवाई के निर्देश दिए जाएं।
न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार राज्य आंदोलनकारी के अधिवक्ता रमन शाह ने बताया कि इस मामले में सात महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था जबकि 17 अन्य को प्रताड़ित किया गया था। मामले में मुख्य आरोपित मुजफरनगर के तत्कालीन जिलाधिकारी अनंत कुमार सिंह तथा सात अन्य आरोपितों के मामले सीबीआई की ओर से मुजफरनगर कोर्ट को स्थानांतरित कर दिए गए थे इनकी सुनवाई अभी तक लंबित है। राज्य आंदोलनकारियों की सुप्रीम कोर्ट में अपील पर मामला नैनीताल उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया था। मामले के अनुसार 2 अक्टूबर 1994 को पृथक राज्य की मांग को लेकर प्रदर्शन के लिए दिल्ली को जा रहे आंदोलनकारियों पर मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा में पुलिस की ओर से भारी अत्याचार किए गए। इस दौरान महिला आंदोलनकारियों के साथ दुष्कर्म किया गया और सात आंदोलनकारियों की मृत्यु हो गई। कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। अनंत कुमार पर राज्यपाल की ओर से मुकदमे की अनुमति न मिलने से उन्हें छूट मिल गई। सीबीआई ने मुकदमों में मामलों में हत्याएं घातक हथियारों व फायरिंग से गंभीर चोट पहुंचाने आदि धाराओं में मामले दर्ज किए। इस मामले में सुनवाई विभिन्न कारणों से लंबित ही रही।
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हिन्दुस्थान समाचार / लता