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- मुठभेड़ में 7 युवकों को मारे जाने के मामले में सीबीआई की मोहाली कोर्ट ने सुनाया फैसला
चंडीगढ़, 04 अगस्त (हि.स.)। पंजाब के सीमावर्ती जिला तरनतारन में वर्ष 1993 के दौरान हुए फर्जी एनकांउटर में सीबीआई की मोहाली स्थित विशेष अदालत ने सोमवार को सेवानिवृत्त एसएसपी समेत पांच पुलिस अधिकारियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। सभी दाेषियाें पर साढ़े तीन-तीन लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। इन सभी पर हत्या और आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चला। पहले इस केस में 10 पुलिसकर्मियों को आरोपित बनाया गया था, लेकिन ट्रायल के दौरान 5 की मौत हो गई।
पंजाब पुलिस ने दावा किया था कि 27 जुलाई, 1993 को तीन युवक शिंदर सिंह, देसा सिंह और सुखदेव सिंह सरकारी हथियारों के साथ पुलिस हिरासत से फरार हो गए। तत्कालीन डीएसपी भूपेंद्रजीत सिंह और इंस्पेक्टर गुरदेव सिंह के नेतृत्व में 28 जुलाई, 1993 को मुठभेड़ को अंजाम देकर 7 युवकों को ढेर कर दिया गया। तरनतारन में थाना वैरोवाल व थाना सहराली में दो अलग-अलग फर्जी पुलिस मुठभेड़ की एफआईआर दर्ज की गईं। सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर, 1996 के आदेश के बाद इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने 3 साल की जांच के बाद मृतक शिंदर सिंह की पत्नी नरिंदर कौर की शिकायत पर 1999 में मामला दर्ज किया।
इतना ही नहीं, युवकों की पहचान होने के बावजूद उनके शवों को लावारिस बताकर अंतिम संस्कार कर दिया गया था। बीती एक अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई कोर्ट ने रिटायर्ड एसएसपी भूपेंद्रजीत सिंह, रिटायर्ड इंस्पेक्टर सूबा सिंह, रिटायर्ड डीएसपी दविंदर सिंह और रिटायर्ड इंस्पेक्टर रघुबीर सिंह व गुलबर्ग सिंह को दोषी करार दिया था। सीबीआई कोर्ट के न्यायाधीश बलजिंदर सिंह सरां ने सोमवार को जब सजा सुनाई तो इनमें से तीन अधिकारी पटियाला जेल से वीसी के माध्यम से पेश हुए, जबकि एएसआई रघुबीर सिंह व गुलबर्ग सिंह निजी तौर पर पेश हुए। अदालत ने सभी पांच पूर्व पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा