वाराणसी में बाढ़ से बिगड़े हालात, शहरी इलाकों में घरों तक पहुंचा पानी
गंगा में बाढ़ का दृश्य


शव दाह के लिए गलियो में नाव से जाते लोग


शहर में बाढ़ का नजारा


— कई माेहल्लाें की सड़कों पर नाव चलने की नौबत

— बीएचयू ट्रामा सेंटर के पास तक पहुंचा बाढ़ का पानी

वाराणसी, 4 अगस्त (हि.स.)। पहाड़ाें और मैदानी इलाकाें में भारी बारिश से उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी विकराल रूप धारण किये है। गंगा की रौद्र लहरें खतरे के निशान 71.26 मीटर को दो दिन पहले ही पार कर बाढ़ के उच्चतम बिंदु 73.901 मीटर तक पहुंच चुकी है। गंगा का पानी शहरी इलाकाें तक

पहुंच कर घराें में घुसने लगा है जिससे लाेगाें की परेशानियां बढ़ गई हैं। मणिकर्णिका घाट पर शवों को अंतिम संस्कार के लिए प्लेटफॉर्म तक नाव से ले जाना पड़ रहा है। बाढ़ में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन सतर्क है। प्रभावित इलाकाें में राहत व बचाव कार्य चलाया जा रहा है।

केन्द्रीय जल आयोग से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को वाराणसी में गंगा का जलस्तर 72 मीटर पार कर गया। सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 72.03 मीटर दर्ज किया गया। जलस्तर में लगातार औसतन एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की वृद्धि हो रही है। बीते 24 घंटों में गंगा 57 सेंटीमीटर चढ़ी है। गंगा का पानी घाटों काे पार करने के बाद अब शहरी इलाकों में घुसने लगा है। दशाश्वमेध, शीतला घाट से होते हुए पानी चितरंजन पार्क, सामने घाट से बीएचयू ट्रॉमा सेंटर, गंगोत्री विहार, नगवा और सामनेघाट की कालोनियों तक पहुंच गया है। इन क्षेत्रों में घुटनों से ऊपर जलभराव हो चुका है। मणिकर्णिका घाट की गलियों में नावें चल रही हैं और शवों को अंतिम संस्कार के लिए प्लेटफॉर्म तक नाव से ले जाया जा रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर भी अंतिम संस्कार गलियों में किया जा रहा है, जिससे धार्मिक कार्यों में भारी दिक्कतें पेश आ रही हैं। नगवा के संतोष पांडेय, राजकुमार व विनोद गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2019 के बाद सामने घाट की सड़कों से लेकर ट्रॉमा सेंटर तक बाढ़ का पानी आया है। पूरी सड़क डूब गई है। इन इलाकों में बाढ़ का पानी घराें में घुसने लगा है। दुकान और कारोबार ठप हैं।

तहसील सदर के 32 गांव और 24 शहरी मोहल्ले बने 'टापू'

जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, तहसील सदर के 32 गांव बाढ़ की चपेट में आकर टापू में तब्दील हो चुके हैं। इनमें रामपुर ढाब, रामचंदीपुर, मुस्तफाबाद, छितौना, जाल्हूपुर, लुठा, अम्बा, शिवदसा, गोबरहा, मोकलपुर, हरिहरपुर, राजापुर, तातेपुर, बभनपुरा, कुकुढ़ा, बर्थरा कला, धोबही, श्रीष्टि, रैमला, सेहवार, चांदपुर, पिपरी, डुडुवा, कैथी, टेकुरी, बर्थरा खुर्द, लक्ष्मीसेनपुर, धरहरा, रमना, टेकरी, नरोत्तमपुर और तारापुर है। इन गांवों में फसलें पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी हैं और कृषि कार्य ठप हो गया है। इसी तरह, शहर के 24 मोहल्ले गंगा और वरूणा नदियों की बाढ़ से घिर गए हैं। इनमें सलारपुर, सरैया, नक्खी घाट, दानियालपुर, कोनिया, ढ़ेलवरिया, पुल कोहना, सारनाथ, रसूलगढ़, नगवां, हुकुलगंज, अस्सी, पुष्कर तालाब, सिकरौल, पैगम्बरपुर, तपोवन, रूप्पनपुर, सराय मोहना, कपिल धारा, बघवा नाला, मौजा हाल, डोमरी, सूजाबाद, दशाश्वमेध इलाके में बड़ी आबादी बाढ़ से प्रभावित हैं। कई स्थानों पर अब सड़कों पर नावें चलने की नौबत आ गई है।

प्रभावित इलाकाें से पलायन शुरू, प्रशासन अलर्ट

हालात बिगड़ते देख लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने लगे हैं। शहर का जनजीवन थम सा गया है। वहीं, बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन सतर्क है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, जल पुलिस और राहत एजेंसियां सक्रिय हैं। प्रभावित इलाकों में राहत व बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। गंगा में बढ़ते जलस्तर के कारण सहायक नदी वरूणा भी उफान पर है, जिससे तटवर्ती इलाकों की स्थिति और खराब हो गई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी