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शिमला, 04 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा सांसद डाॅ. सिकंदर कुमार ने सोमवार को संसद में प्रदेश के करीब 30 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों के भविष्य को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने सरकार से मांग की कि इन कर्मचारियों के लिए ठोस और स्थायी नीति बनाई जाए, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।
डाॅ. सिकंदर कुमार ने संसद में कहा कि हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों में लंबे समय से लगभग 30 हजार कर्मचारी आउटसोर्स के माध्यम से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ये कर्मचारी नियमित कर्मचारियों की तरह ही ईमानदारी से काम करते हैं, लेकिन फिर भी इनके भविष्य पर हमेशा अनिश्चितता की तलवार लटकी रहती है।
उन्होंने बताया कि इन कर्मचारियों को मिलने वाला वेतन भी बहुत कम होता है और कई बार तो महीनों तक वेतन ही नहीं मिलता। इसके बावजूद ये कर्मचारी बिना वेतन के भी लगातार काम करते रहते हैं। डाॅ. सिकंदर ने विशेष रूप से कोविड महामारी के समय का जिक्र करते हुए कहा कि उस मुश्किल दौर में भाजपा सरकार ने मेडिकल स्टाफ की भर्ती आउटसोर्स के माध्यम से की थी। इन कोविड वाॅरियर्स ने अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात मरीजों की सेवा की।
उन्होंने दुख जताया कि सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार ने न सिर्फ इन कोविड वाॅरियर्स की सेवाएं समाप्त कर दीं, बल्कि अन्य विभागों, बोर्डों और निगमों में काम कर रहे हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों को भी नौकरी से निकाल दिया। डाॅ. सिकंदर ने कहा कि कई आउटसोर्स कर्मचारी 15-20 सालों से लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन आज तक उनके लिए कोई स्थायी नीति नहीं बनाई गई है।
डाॅ. सिकंदर कुमार ने कहा कि आज भी ये कर्मचारी एक स्थायी नीति की राह देख रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है। उन्होंने सरकार से अपील की कि इन कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए जल्द से जल्द ठोस और स्थायी नीति बनाई जाए, ताकि ये कर्मचारी भी निश्चिंत होकर काम कर सकें और उनका जीवन आसान हो सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा