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नई दिल्ली, 4 अगस्त (हि.स.)। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोमवार को बिम्सटेक देशों के पारंपरिक संगीत महोत्सव ‘सप्त सुर’ में कहा कि भविष्य गढ़ने का आत्मविश्वास स्वयं को जानने से आता है। परंपराएं हमारी पहचान हैं और हमारे जैसे देशों के लिए शक्ति का स्रोत हैं।
विदेश मंत्री ने आज नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में बिम्सटेक पारंपरिक संगीत महोत्सव ‘सप्त सुर: सेवन नेशन्स, वन मेलोडी’ की पहली कड़ी के आयोजन में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन इस महोत्सव के आयोजन का वादा किया था। ‘यह गर्व की बात है कि वादा समय से पहले पूरा किया गया’।
अपने संबोधन में डॉ. जयशंकर ने कहा कि वर्तमान समय में अनिश्चितता और जटिलता है। इस समय वैश्विक संतुलन और प्रतिनिधित्व की भावना प्रधान है। ऐसे में पारंपरिक मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत में भविष्य को आकार देने की आत्मिक शक्ति देती है। वहीं संगीत हमारी पहचान को प्रकट करता है और देशों के बीच सेतु का कार्य भी करता है। उन्होंने आईसीसीआर के महानिदेशक के वक्तव्य को दोहराते हुए कहा कि संगीत, सभ्यता की आत्मा है और यह गहराई से विश्व को जोड़ता है।
डॉ. जयशंकर ने साझा किया कि उन्होंने स्वयं संगीत और पुस्तकों के माध्यम से विश्व के प्रति रुचि विकसित की। उन्होंने ‘सप्तसुर’ को सात देशों की साझी सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बताया।
उल्लेखनीय है कि बिम्सटेक बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल है। यह दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के सात देशों का संगठन है। इसमें बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान हैं। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाना, आर्थिक प्रगति को गति देना और साझा सांस्कृतिक विरासत के आधार पर स्थायी विकास सुनिश्चित करना है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा