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लखनऊ,04 अगस्त (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देशित किया है कि उत्तर प्रदेश में चल रही और प्रस्तावित शहरी अधोसंरचना परियोजनाओं के शिलापट्टों पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के नाम अवश्य हों। अब विकास कार्यों की वित्तीय किश्त की स्वीकृति के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि उपयोग प्रमाणपत्र (यूसी) और पूर्णता प्रमाणपत्र (सीसी) के साथ उन शिलापट्टों की प्रमाणित तस्वीरें संलग्न की जाएं, जिन पर संबंधित जनप्रतिनिधियों के नाम स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हों। यह फोटोग्राफिक दस्तावेज परियोजना की प्रगति और सार्वजनिक धन के सदुपयोग की निगरानी हेतु एक आवश्यक अनुपालन प्रमाण के रूप में काम करेगा।मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में, नगर विकास विभाग ने सभी शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिये गये हैं।
नवीन दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक पट्टिका पर प्रमुख जनप्रतिनिधियों— मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री, संबंधित क्षेत्र के विधायक, और नगर निगम में महापौर या नगर पालिका/नगर पंचायत में अध्यक्ष—के नाम निर्धारित क्रम में अंकित करना अनिवार्य होगा।
साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि विधायक और महापौर/अध्यक्ष के नाम एक समान फ़ॉन्ट साइज में हों, ताकि प्रस्तुति में निष्पक्षता और गरिमा बनी रहे।
पट्टिकाओं पर केवल निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के नाम ही अंकित किए जाएंगे। किसी भी सरकारी अधिकारी—जैसे नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी या अन्य विभागीय कर्मियों—का नाम पट्टिका पर लिखना पूर्णतः वर्जित होगा। सभी शिलान्यास और उद्घाटन कार्यक्रमों में संबंधित जनप्रतिनिधियों को पूर्ण सम्मान एवं प्रोटोकॉल के साथ आमंत्रित करना अनिवार्य किया गया है।
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा, मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि शहरी जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व और सहभागिता को सम्मानपूर्वक प्रदर्शित किया जाए। यह व्यवस्था प्रोटोकॉल के पालन के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों और सहभागिता आधारित शासन व्यवस्था को भी सुदृढ़ करती है।”
नगर विकास विभाग ने सभी निकायों से दिशा-निर्देशों को पूरी निष्ठा और भावना से लागू करने का आह्वान किया है, ताकि पूरे प्रदेश में विकास कार्यों में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और लोकतांत्रिक गरिमा सुनिश्चित की जा सके।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन