मप्र के उज्जैन में धूमधाम से निकाली गई महाकाल की सावन मास की चतुर्थ सवारी, चार स्वरूपों में भक्तों को दिए दर्शन
महाकाल की सावन मास की चतुर्थ सवारी


महाकाल की सावन मास की चतुर्थ सवारी


उज्जैन, 04 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्‍वर की श्रावण/भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारी के क्रम में सोमवार को श्रावण मास की चौथी सवारी धूमधाम से निकाली गई। इस दौरान अवंतिकानाथ ने नगर भ्रमण कर अपनी प्रजा का हाल जाना। सवारी के दौरान भगवान महाकाल चार स्वरूपों में अपने भक्तों को दर्शन दिए। बाबा महाकाल पालकी में श्री चन्‍द्रमोलेश्‍वर, गजराज पर श्री मनमहेश, बैलगाड़ी में गरूड़ पर शिवतांडव एवं बैलगाड़ी में नंदी पर श्री उमा-महेश के स्‍वरूप में विराजमान होकर नगर के भ्रमण पर निकले। सवारी के दौरान जनजातीय समूहों के कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुतियां भी दी गईं।

शाम चार बजे महाकालेश्वर मंदिर से चतुर्थ सवारी शुरू हुई। सवारी निकलने के पूर्व महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन परिवहन व स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने किया। पूजन शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा ने करवाया। इस दौरान महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सभामंडप में विधायक सतीश मालवीय, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव, संजय अग्रवाल आदि ने भी भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन किया और आरती में सम्मिलित हुए। सभी गणमान्यों ने पालकी को कंधा देकर नगर भ्रमण के लिए रवाना किया।

सभामंडप में पूजन उपरांत अवंतिकानाथ भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर के स्वरूप में पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्‍तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्‍वर मंदिर के मुख्‍य द्वार पर पहुंची, सशस्‍त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई। इसके बाद सवारी नगर पर रवाना हुई। राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर की सवारी में लाखों भक्त भगवान शिव का गुणगान करते हुए तथा विभिन्न भजन मंडलियां झांझ-मंजीरे, डमरू बजाते हुए चल रहे थे। सवारी मार्ग के दोनों ओर श्रद्धालु पालकी में विराजित चन्द्रमोलेश्वर के दर्शन के लिए खड़े थे जैसे ही पालकी उनके सामने से निकली वैसे ही भगवान के गुणगान एवं पुष्प वर्षा कर अपने आपको श्रद्धालु धन्य मान रहे थे।

सवारी अपने परम्परागत मार्ग से होती हुई शाम करीब छह बजे रामघाट पहुँची, जहाँ रामघाट पर मॉं क्षिप्रा के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक और पूजन किया गया। इस दौरान परिवहन एवं स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने सपत्निक भगवान महाकालेश्वर का पूजन अर्चन किया। उन्होंने कहा कि भगवान महाकालेश्वर का आशीर्वाद पूरे प्रदेश और देश की जनता पर बना रहे, बस यही कामना है।

पूजन-अभिषेक व आरती उपरांत सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्‍यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर पहुंची, जहॉ सिंधिया ट्रस्‍ट के पुजारी द्वारा पालकी में विराजित श्री चन्‍द्रमौलेश्‍वर का पूजन किया गया। इसके पश्‍चात सवारी पटनी बाजार और गुदरी चौराहे से होती हुई पुन: महाकालेश्‍वर मंदिर पहुंची। महाकालेश्वर मंदिर पहुंचने के पश्‍चात सवारी का विश्राम हुआ।

चार जनजातीय कलाकारों के दलों ने की सहभागितामुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर बाबा महाकाल की सवारी को भव्य स्वरुप देने के लिए चार जनजातीय कलाकारों के दल ने सहभागिता की। जिसमें मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में धार से भगोरिया नृत्य, मोजीलाल ड़ाडोलिया छिंदवाड़ा का भारिया जनजातीय भडम नृत्य, उज्जैन के कृष्णा वर्मा के नेतृत्व में मटकी लोक नृत्य, राहुल धुर्वे सिविनी के नेतृत्व में गोन्ड जनजातीय सैला नृत्य सम्मिलित हुए। यह सभी दल महाकालेश्वर भगवान की सवारी के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चले। सभी जनजातीय दल संस्कृति विभाग भोपाल, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद व ‍त्रिवेणी कला एवं पुरातत्वव संग्रहालय के माध्यम से भगवान महाकालेश्वर की चतुर्थ सवारी सहभागिता की।

श्रावण-भादौ माह 2025 में भगवान महाकाल की नगर भ्रमण पर निकली चतुर्थ सवारी में मध्य प्रदेश के वन्य जीव पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, ऐतिहासिक पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन की झाकियां निकाली गई। जिसमें वन्य जीव पर्यटन के अंतर्गत मध्य प्रदेश के प्रमुख वन्य जीव एवं वन्य जीव पर्यटन स्थल/टाइगर रिजर्व जैसे कान्हा टाइगर रिजर्व, पेंच टाइगर रिजर्व, रातापानी टाइगर रिजर्व एवं पन्ना टाइगर रिजर्व को प्रदर्शित किया गया है। धार्मिक पर्यटन के अंतर्गत मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर के सांदीपनि आश्रम जहां की भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा ली थी, को प्रदर्शित किया गया है। साथ ही ओंकारेश्वर में स्थित आदि शंकराचार्य एकात्म धाम को भी प्रदर्शित किया। ऐतिहासिक पर्यटन के अंतर्गत ग्वालियर के किले चंदेरी का किला एवं खजुराहो के मंदिर का प्रदर्शन किया जा रहा है। ग्रामीण पर्यटन के अंतर्गत मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा ओरछा में संचालित होम स्टे और ओरछा मंदिर की प्रतिकृति भी प्रदर्शित की गई।________________

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर