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टोक्यो, 04 अगस्त (हि.स.)। जापान की सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) की नीति अनुसंधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष कोइची हागिउदा को दान के रूप में मिले पैसे में हेराफेरी के आरोप का सामना करने का रास्ता साफ हो गया। टोक्यो जिला लोक अभियोजक कार्यालय ने अपने पिछले फैसले को पलटते हुए कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
जापान के अखबार द असाही शिंबुन के अनुसार एलडीपी के इस सहयोगी पर पार्टी के दूसरे गुट से प्राप्त 22.9 मिलियन येन के दान को दर्ज न करने का संदेह है। चार साल में प्राप्त राजनीतिक चंदा, आय और व्यय की रिपोर्ट की जांच में यह संदेह और पुख्ता हुआ है। अभियोजकों का मानना है कि कोइची हागिउदा ने राजनीतिक धन नियंत्रण कानून का उल्लंघन किया है।
अभियोजकों ने कानूनी प्रक्रिया के प्रारूप में जुर्माना जैसे दंड का प्रावधान किया है। इसमें कहा गया है कि अगर हागिउदा इसके लिए तैयार नहीं होते तो खुली अदालत में मुकदमा चलाया जाए। असाही शिंबुन के अनुसार हागिउदा एलडीपी के सबसे बड़े गुट का हिस्सा रहे हैं। इस गुट का नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने किया था। आबे का कार्यकाल में यह हाई-प्रोफाइल फंडिंग घोटाला हुआ। कई सांसदों ने धन जुटाने वाली पार्टियों से प्राप्त बड़ी मात्रा में अघोषित संपत्ति का हिस्सा हागिउदा के पास जमा किया था।
हागिउदा पर 2019 से 2022 के बीच प्राप्त 22.9 मिलियन येन के दान का लेखा-जोखा न रखने का आरोप आरोप लगाया गया था। जून, 2024 में अभियोजन की जांच के लिए टोक्यो नंबर 5 समिति ने कहा कि हागिउदा ने पूर्व आबे गुट के सचिवालय के निर्देशों के तहत रिकॉर्ड में हेराफेरी की। आबे के कार्यकाल में हागिउदा काफी शक्तिशाली रहे हैं। शिक्षामंत्री और वित्तमंत्री होने के साथ वह एलडीपी के कार्यकारी महासचिव रहे।
ऐसा माना जाता है कि इस घोटाले के कारण ही जुलाई में हुए उच्च सदन के चुनाव में एलडीपी को भारी हार का सामना करना पड़ा। हागिउदा लगातार प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा से चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेने और इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद