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सोनीपत, 4 अगस्त (हि.स.)। सोनीपत के बीडीपीओ कार्यालय में सोमवार को बुजुर्गों को पेंशन
वेरिफिकेशन के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। प्रशासन की इस व्यवस्था
ने सामाजिक न्याय और बुजुर्गों के सम्मान पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिला पार्षद
ने स्वयं एक असहाय बुजुर्ग को गोद में उठाकर वेरिफिकेशन करवाया और इस प्रक्रिया को अमानवीय
करार दिया।
सोनीपत के बीडीपीओ कार्यालय में बोर्ड ऑफ पेंशन के लिए वेरिफिकेशन
कराने के उद्देश्य से बुजुर्गों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है। उम्र और स्वास्थ्य
की चुनौतियों के बावजूद वेरिफिकेशन प्रक्रिया को घर-घर जाकर करने के बजाय कार्यालयों
में बुलाया जा रहा है।
जिला पार्षद संजय बड़वासनिया ने इस अमानवीय व्यवहार का विरोध
जताते हुए कहा कि पहले भी बुजुर्गों को इसी प्रकार वेरिफिकेशन के नाम पर परेशान किया
गया था। अब दोबारा संदेश भेजकर धमकी दी जा रही है कि यदि वेरिफिकेशन नहीं कराया गया
तो पेंशन काट दी जाएगी। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक गांव में पंचायत सचिव की ड्यूटी
लगाकर वेरिफिकेशन कराई जानी चाहिए, क्योंकि पंचायतें अन्य कार्य तो करती हैं, फिर यह
जिम्मेदारी भी निभाएं। उन्होंने प्रशासन और
सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सम्मान भत्ता नहीं बल्कि अपमान बन गया है।
बुजुर्गों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और भाजपा
सरकार पर आरोप लगाया कि वह सत्ता के नशे में बुजुर्गों का सम्मान भूल गई है। सांसद
और विधायक करोड़ों की संपत्ति और पेंशन ले रहे हैं, लेकिन उनकी कोई वेरिफिकेशन नहीं
होती, यह दोहरी नीति लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है। जिला पार्षद ने सरकार से मांग
की है कि बुजुर्गों का वेरिफिकेशन घर-घर जाकर कराया जाए ताकि उन्हें अपमानजनक परिस्थितियों
से गुजरना न पड़े।
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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना