बाड़मेर में खेजड़ी के पेड़ों की कटाई पर ग्रामीणों का धरना, विधायक ने जताया विरोध
घटना स्थल पर विधायक रविन्द्रसिंह भाटी।


बाड़मेर खेजड़ी के पेड़ाें की अवैध कटाई।


बाड़मेर, 4 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान के बाड़मेर जिले के शिव उपखंड के बरियाड़ा और खोड़ाल गांवों में सोलर कंपनियों द्वारा खेजड़ी जैसे पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील पेड़ों की अवैध कटाई के विरोध में ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन शुरू किया है। स्थानीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने रविवार की रात धरना स्थल पर ग्रामीणों के साथ बिताई और सोमवार को जेसीबी मशीन से जमीन में दबाए गए पेड़ों को खुद निकलवाया।

विधायक भाटी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सोलर कंपनियों ने खेजड़ी के सूखे पेड़ों को पेट्रोल डालकर जला दिया और गीली लकड़ियों को जमीन में दबा दिया। करीब डेढ़ किलोमीटर तक चार जगहों पर पेड़ दबाए गए हैं। अब इन पेड़ों को ट्रकों में भरकर जिला कलेक्ट्रेट में प्रशासन के सुपुर्द किया जाएगा ताकि सबूत गायब न हो जाएं। उन्होंने प्रशासन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एक ओर अधिकारी ‘एक पेड़ मां के नाम’ लगाते हैं, और दूसरी ओर कंपनियों से मिलीभगत कर पेड़ों की हत्या करवा रहे हैं।

यह विरोध उस वक्त और तेज हो गया जब सामने आया कि कंपनियों ने ग्रामीणों के विरोध की भनक मिलते ही पेड़ों को जला डाला। आरोप है कि बरियाड़ा और खोड़ाल में सोलर कंपनियां प्लांट निर्माण के दौरान खड़ीन क्षेत्र में पेड़ काट रही हैं, जो वन्यजीवों और पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी क्षेत्र है। किसानों ने बताया कि खेतों तक पहुंचने के लिए एक ही गेट दिया गया है, जिससे कई किसानों को 15 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है।

पेड़ काटने और जलाने के प्रमाण वीडियो और राख के रूप में सामने आने के बाद '#खेजड़ी_बचाओ' सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। भाटी ने कहा कि कंपनियों का यह कृत्य न केवल अपराध है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र को चुनौती है।

उल्लेखनीय है क खेजड़ी राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान है। भाटी ने खेजड़ली गांव की ऐतिहासिक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह 1730 में खेजड़ी को बचाने के लिए 363 लोगों ने बलिदान दिया था, आज भी उसी भावना की जरूरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि पर्यावरणीय और सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर