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--कहा, बीएसए दे जानकारी, विफल तो अगली सुनवाई 20 अगस्त को बीएसए बलिया व बेसिक शिक्षा निदेशक लखनऊ हो हाजिर
प्रयागराज, 04 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। ताकि अधिकारी समय से केस की जानकारी सरकारी वकील को उपलब्ध करायें। ताकि छोटे-मोटे मामले जानकारी मिलने पर निपटाये जा सके और कोर्ट पर अनावश्यक रूप से मुकदमों का बोझ न बढ़े।
कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा उप्र को यथाशीघ्र गाइडलाइन जारी कर सभी अधिकारियों को निर्देश देने का आदेश दिया है, ताकि समय से वे केस की जानकारी अपने वकीलों को उपलब्ध करायें।
कोर्ट ने आदेश की सूचना के बावजूद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बलिया द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध न कराने पर नाराजगी जताई है। कहा कि 20 अगस्त अगली सुनवाई की तिथि तक यदि केस की जानकारी नहीं दी गई तो बेसिक शिक्षा निदेशक लखनऊ व बीएसए बलिया कोर्ट में हाजिर हों।
यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने सुनैना सिंह की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। 22 जुलाई को सुनवाई के दौरान बताया गया कि बीएसए ने याची को ब्याज रूपये 140571 का भुगतान करने के लिए संस्तुति भेजी है। शासन में विचाराधीन है। जानकारी के लिए दस दिन का सरकारी वकील ने समय मांगा। अगली सुनवाई की तिथि पर सरकारी वकील ने बताया कि बीएसए को पत्र भेजा गया है जो प्राप्त हो चुका है, किंतु कोई जानकारी नहीं प्राप्त हुई है।
इस पर कोर्ट ने कहा सुनवाई के दौरान अनुभव बताता है कि अक्सर सरकारी अधिकारी समय से केस की जानकारी नहीं देते। जिसके कारण केस का निस्तारण नहीं हो पाता और कोर्ट पर मुकदमों का बोझ बढ़ता है। अधिकारियों के इस लापरवाही भरे रवैये के कारण कोर्ट के समय की बर्बादी होती है। जो लोक हित को प्रभावित करती है। कोर्ट ने कहा राज्य को कोर्ट का सहयोग करना चाहिए और अधिकारी मुकदमों का बोझ बढ़ा रहे। अधिकारी समय से अधिकारी जानकारी दे, इस सम्बंध में दिशा-निर्देश जारी किया जाय।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे