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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त युग-प्रतिनिधि राष्ट्रीय कवि थे: कुलपति
तीन दिवसीय राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जयंती समारोह और राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ भव्य शुभारंभ
झांसी, 4 अगस्त (हि.स.)। स्वाधीनता आंदोलन के समय देश में राष्ट्रीय चेतना का संचार करने वाले और 'भारत भारती' जैसे महान काव्य का प्रणयन करने वाले 'राष्ट्रकवि' मैथिलीशरण गुप्त की 139वीं जयंती के अवसर पर हिन्दुस्तानी एकेडेमी, प्रयागराज तथा हिंदी विभाग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भारतीय ज्ञान परंपरा और बुंदेलखंड का साहित्य विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी तथा सम्मान समारोह का भव्य शुभारंभ विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में किया गया। बारिश के चलते रात देर से शुरू हुए कार्यक्रम में सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा राष्ट्रकवि के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। इसके उपरांत अतिथियों का स्वागत हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो मुन्ना तिवारी द्वारा किया गया।
डॉ विष्णु सक्सेना को राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान मिलना किसी सपने की तरह है। इस सम्मान के साथ मुझे एक जिम्मेदारी का एहसास कराती है। मैं प्रयास करूंगा कि साहित्य और काव्य परंपरा के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाता रहूं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो मुकेश पांडेय ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त का कवित्व भारतीय संस्कृति, राष्ट्रप्रेम तथा मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों से भरा हुआ है। मैथिलीशरण गुप्त जी आधुनिक हिंदी कविता के प्रतिनिधि कवि और राष्ट्रीय भावनाओं की प्रेरणा देने वाले राष्ट्रकवि के रूप में सदैव स्मरणीय रहेंगे। वीरभूमि बुंदेलखंड में जन्म लेने के कारण आपकी आत्मा और प्राण देशप्रेम से परिपूर्ण थे। गुप्त जी युग-प्रतिनिधि राष्ट्रीय कवि थे। इस आधी सदी की समस्त सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक हलचलों का प्रतिनिधित्व इनकी रचनाओं में मिल जाता है। इनके काव्य में राष्ट्र की वाणी मुखर हो उठी है। उनकी रचनाएं आज भी भारतीय राष्ट्रवाद और देशभक्ति का साक्षात प्रतीक है।
विशिष्ट अतिथि पुलिस उपमहानिरीक्षक केशव कुमार चौधरी ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त का काव्य बहुत विशाल है। उन्होंने अपनी कविता से लोकजगृति का कार्य किया। उनका लिखा, हम कौन थे, क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी, आज भी प्रासंगिक है।
सारस्वत अतिथि मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जो कार्य दद्दा मैथिलीशरण गुप्त ने किया उसे आगे ले जाने की जिम्मेदारी युवा पीढ़ी की है। दद्दा की स्मृति में हम सभी यह संकल्प लें कि हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाए। स्वयं तिरंगा के साथ सेल्फी लेकर अपलोड करें। अपने साथियों को भी प्रेरित करें। हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाना ही राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मुख्य अतिथि महापौर बिहारीलाल आर्य ने कहा कि हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हम उसे धरती पर जन्मे जहां कभी राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जन्म लिया था। यह हम सब की जिम्मेदारी है कि उनके दिखाएं मार्ग पर चलें और राष्ट्र को विकसित करें।
कवि सम्मेलन में अमन अक्षर, मनवीर मधुर, दीपक दनादन, वंदना विशेष ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को आह्लादित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अचला पांडेय तथा आभार प्रो पुनीत बिसारिया द्वारा ज्ञापित किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / महेश पटैरिया