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कोलकाता, 04 अगस्त (हि. स.)। राज्य के प्राथमिक शिक्षक अब बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के रूप में काम करने से इनकार नहीं कर सकते। कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को यह स्पष्ट करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा है कि यह कार्य राष्ट्रीय हित से जुड़ा है और इसके लिए चुनाव आयोग के निर्देशों में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमृता सिंह ने कहा कि अभी तक चुनाव आयोग ने न तो बीएलओ की जिम्मेदारियों को स्पष्ट किया है और न ही काम की समय-सीमा तय की है। ऐसे में यह मान लेना गलत है कि शिक्षकों को पूरा समय बीएलओ के रूप में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक अपना मूल कार्य पूर्ण करने के बाद अतिरिक्त समय में यह कार्य कर सकते हैं।
प्राथमिक शिक्षकों के एक वर्ग ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर यह दलील दी थी कि सप्ताह में सोमवार से शनिवार तक स्कूल में पढ़ाने और अन्य शैक्षणिक कार्यों में व्यस्त रहने के कारण वे बीएलओ का अतिरिक्त कार्य नहीं कर सकते। उनका कहना था कि सप्ताह में केवल रविवार को अवकाश होता है और ऐसे में बीएलओ का काम करना संभव नहीं।
हालांकि चुनाव आयोग की ओर से तर्क दिया गया कि शिक्षकों को उनके नियमित कार्यों के बाद अतिरिक्त समय में बीएलओ की जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। आयोग का यह भी कहना था कि बीएलओ की भूमिका मामूली नहीं है, लेकिन उसे प्राथमिक कार्य के बाद किया जा सकता है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि निर्वाचन से जुड़ा कार्य सरकारी सेवा की शर्तों का हिस्सा है। साथ ही, कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के एक पुराने आदेश का भी हवाला दिया, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था। उस आदेश में कहा गया था कि बीएलओ का काम नियमित कार्य में बाधा नहीं बनना चाहिए और इसे अतिरिक्त समय में किया जाना चाहिए। इसी आधार पर हाई कोर्ट ने राज्य के प्राथमिक शिक्षकों की याचिका खारिज कर दी।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष व गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इन्टेन्सिव रिवीजन - एसआईआर) का काम पहले ही पूरा हो चुका है। अब पश्चिम बंगाल समेत पूरे देश में एसआईआर का कार्य शुरू होने जा रहा है। इसके तहत चुनाव आयोग ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) को पत्र भेजकर बीएलओ, बीएलओ पर्यवेक्षक और बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) की नियुक्ति व प्रशिक्षण कार्य शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है। इसी पृष्ठभूमि में कलकत्ता हाई कोर्ट का यह फैसला आया है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर