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कागज़ों तक सिमटा गौशाला प्रबंधन, अन्ना मवेशियों से किसानों की फसल बर्बाद – जनता त्रस्त, प्रशासन मौन
औरैया, 04 अगस्त (हि. स.)। शासन की लाख कोशिशों के बावजूद जिले में गौवंश संरक्षण महज कागजों पर ही सिमटकर रह गया है। फफूँद क्षेत्र और आसपास के गांवों में अन्ना मवेशियों का आतंक चरम पर है। खेतों से लेकर सड़कों तक गौवंशों का डेरा डला हुआ है। नतीजतन, जहां किसान अपनी खून-पसीने की फसलें उजड़ती देख रहे हैं, वहीं सड़कों पर आए दिन हादसे हो रहे हैं।
शासन और जिलाधिकारी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी के निर्देशों के बावजूद संबंधित विभागों के अधिकारी और कर्मचारी अमल करने में नाकाम नजर आ रहे हैं। फफूँद, केशमपुर, भर्रापुर, दसरौरा, अधासी सहित दर्जनों गांवों में अन्ना मवेशी खुलेआम घूम रहे हैं। किसानों ने बताया कि धान, बाजरा, सब्जी जैसी फसलें या तो उजड़ चुकी हैं या अब वे खेती से ही तौबा करने को मजबूर हैं। कई किसानों ने तो हजारों बीघा जमीन परती छोड़ दी है।
शहरों में हाल और भी भयावह है। आवारा गोवंश गली-मोहल्लों में कूड़ा खाकर जीवन काट रहे हैं, जिससे वे बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। बाजारों में खरीदारी को आने वाली ग्रामीण महिलाएं और पुरुष गायों के झुंड से परेशान हो उठते हैं। रक्षाबंधन जैसे त्यौहारों पर भी उन्हें डर बना रहता है।
डीएम द्वारा बार-बार निर्देश देने के बावजूद कर्मचारी आंखें मूंदे हुए हैं। चर्चा यह भी है कि कई गौशालाओं में दिखावटी आंकड़े भेजकर शासन को गुमराह किया जा रहा है। गौशालाओं की स्थिति खुद जर्जर है, जहां चारा-पानी की उचित व्यवस्था नहीं है।
किसानों ने चेताया कि अगर जल्द ही प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे आंदोलन को मजबूर होंगे। उनकी मेहनत और लागत पर पानी फिर रहा है और वे कर्ज के बोझ में डूबते जा रहे हैं।
जनता अब एक ही सवाल कर रही है क्या गोवंश संरक्षण सिर्फ एक अभियान था या वास्तव में इसका उद्देश्य गोवंश और अन्नदाता दोनों की रक्षा करना था।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील कुमार