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मुंबई, 31 अगस्त (हि.स.)। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कानूनी अड़चनों और संभावित न्यायिक चुनौतियों का हवाला देते हुए रविवार को कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को तत्काल आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकार विचार कर रही है और आंदोलनकर्ताओं को भी इस पर विचार करना चाहिए।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने रविवार को पत्रकारों को बताया कि पिछले कई अदालती फैसलों ने मराठा आरक्षण के लिए गए इस तरह के कदम का विरोध किया है। उन्होंने कहा, कानूनी ढांचे से बाहर लिया गया कोई भी फैसला अदालत में टिक नहीं पाएगा और समुदाय में विश्वासघात की भावना पैदा कर सकता है। फडणवीस ने स्पष्ट किया कि आरक्षण प्रक्रिया में उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति संदीप शिंदे के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है जो मराठों के कुनबी अभिलेखों सहित प्रासंगिक अभिलेखों की जाँच करेगी और हैदराबाद राजपत्र के कार्यान्वयन का अध्ययन करेगी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जारंागे-पाटिल द्वारा तत्काल कार्यान्वयन पर ज़ोर दिए जाने के बावजूद, इस प्रक्रिया में समय लगेगा। न्यायमूर्ति शिंदे ने जारंगे-पाटिल को प्रक्रिया समझाने के लिए आज़ाद मैदान स्थित धरना स्थल का व्यक्तिगत रूप से दौरा किया। फडणवीस ने कहा, इन प्रक्रियाओं को नजऱअंदाज़ करने से कोई भी फ़ैसला निरर्थक हो जाएगा। स्थायी समाधान केवल बातचीत और आपसी समझ से ही निकल सकता है। जारांगे-पाटिल द्वारा बार-बार किए गए व्यक्तिगत हमलों पर फडणवीस ने कहा, मुझे व्यंग्य और गाली-गलौज की आदत है। अंतत:, किसी व्यक्ति को उसके काम और उपलब्धियों के लिए याद किया जाता है। आलोचना चाहे कितनी भी हो, मैं समाज के व्यापक हित में और डॉ. बी.आर. आंबेडकर द्वारा निर्धारित संवैधानिक ढाँचे के भीतर ही काम करूँगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव