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--भगवान के मंत्रों का जप दस गुना फलदायी होता है : शांडिल्य महाराज
प्रयागराज, 31 अगस्त (हि.स.)। श्रृंगवेरपुर धाम के नारायणाचार्य जगद्गुरु पीठाधीश्वर शांडिल्य महाराज ने रविवार को बताया कि चंद्र ग्रहण 7 सितम्बर को रात 9ः58 बजे शुरू होगा, जिसका समापन देर रात 1ः26 बजे होगा। इस प्रकार से चंद्र ग्रहण तीन घण्टे 28 मिनट रहेगा।
उन्होंने बताया कि ज्योतिष के अनुसार यह ब्लड मून होगा। ग्रहण के दौरान सूतक काल लागू होगा, जिसमें पूजा-पाठ और शुभ कार्य वर्जित हैं। उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच आकर पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है। उन्होंने बताया कि 7 सितम्बर को दिखने वाला चंद्र ग्रहण एकदम लाल दिखेगा।
उन्होंने आगे बताया कि साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। भारत के अलावा चंद्र ग्रहण को एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, फिजी और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा।
शांडिल्य महाराज ने बताया कि चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक काल प्रारम्भ हो जाता है। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए सूतक काल का प्रभाव भी यहां लागू होगा। इस दौरान पूजा-पाठ और अन्य शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। आगामी चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर को 12ः57 बजे शुरू हो जाएगा।
शांडिल्य महाराज ने बताया कि चंद्र ग्रहण के दौरान क्रोध न करें, क्रोध करने से अगले 15 दिन आपके लिए खतरनाक हो सकते हैं। चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन ग्रहण न करें साथ ही पूजा पाठ करना भी वर्जित है। इस दौरान किसी भी सूनसान जगह या श्मशान भूमि के पास नहीं जाना चाहिए। क्योंकि नकारात्मक शक्तियां काफी ज्यादा हावी रहती हैं। चंद्र ग्रहण के दौरान व्यक्ति को किसी भी नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
अंत में उन्होंने बताया कि चंद्र ग्रहण के दौरान सिर्फ भगवान के मंत्रों का जप करना चाहिए, जो कि दस गुना फलदायी होता है। चंद्र ग्रहण के बाद शुद्ध जल से स्नान करके, गरीबों का दान देना चाहिए। चंद्र ग्रहण के बाद पूरे घर को शुद्ध करना चाहिए ऐसा करने से घर की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है। ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र