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बीजिंग, 31 अगस्त (हि.स.)। चीन के तियानजिन में रविवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे।सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी मुलाकात तय है। सम्मेलन पर दुनिया भर की निगाहें लगी हुई हैं। अमेरिका के एकतरफा टैरिफ वॉर शुरू किए जाने के बीच एससीओ का सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण बन गया है। सम्मेलन में 20 से ज्यादा देश शामिल हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर को एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के तियानजिन पहुंचने पर उनका गर्मजोशी भरा स्वागत हुआ। इसकी तस्वीरें प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्स पोस्ट में साझा की हैं। वे दो दिनों के जापान दौरे के बाद शनिवार को चीन पहुंचे।
प्रधानमंत्री मोदी के तियानजिन पहुंचने के बाद उन्हें यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का फोन आया।उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह जानकारी भी साझा की है- राष्ट्रपति जेलेंस्की को उनके फोन कॉल के लिए धन्यवाद। हमने मौजूदा संघर्ष और शांति बहाली पर चर्चा की। भारत ऐसे हर प्रयास का समर्थन करेगा। प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति पुतिन से होने वाली बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध बड़ा मुद्दा रहेगा।
पिछली बार मोदी जून 2018 में एससीओ सम्मेलन में शामिल हुए थे। जिसके बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अक्टूबर 2019 में भारत आए थे। हालांकि जून 2020 में गलवन घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ गया था। हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य करने के प्रयास जारी हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एकतरफा टैरिफ नीतियों के चलते भारत-अमेरिका संबंधों में आई गिरावट के बीच प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा काफी अहम बन गई है। ट्रंप ने विशेषकर एससीओ के सदस्य देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाया जिसमें भारत (50%), चीन (30%), कजाकिस्तान (25%) समेत अन्य देश हैं। ऐसे में एससीओ का मंच अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ खड़े होने वाले देशों और स्वयं अमेरिका के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव पाश