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नई दिल्ली, 31 अगस्त (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से वार्ता की। यह उनकी लगभग दस माह बाद हुई पहली द्विपक्षीय वार्ता है। इसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने शुरुआती वक्तव्य में कहा कि पिछले वर्ष कज़ान में हुई वार्ता ने भारत-चीन संबंधों को सकारात्मक दिशा दी। उन्होंने उल्लेख किया कि सीमा पर हुए डिसइंगेजमेंट के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना है। मोदी ने जोर दिया कि यह माहौल दोनों देशों के रिश्तों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
मोदी ने बताया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू हो गई है। यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि दोनों देशों के लोगों को जोड़ने का माध्यम भी है। उन्होंने इसे आपसी विश्वास और सहयोग का प्रतीक बताया। यह निर्णय दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों की पुनः शुरुआत हो रही है। उन्होंने इसे व्यावसायिक, सांस्कृतिक और जनसंपर्क के लिए अहम कदम बताया। मोदी ने कहा कि इस सहयोग से दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों के हित जुड़े हैं और यह पूरी मानवता के कल्याण की दिशा में योगदान करेगा।
मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंध आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर आधारित होंगे। उन्होंने चीन की सफल एससीओ अध्यक्षता पर बधाई दी और आमंत्रण के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सहयोग और संवाद से दोनों देशों के रिश्ते नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं।
तियानजिन में रविवार को आयोजित इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए मोदी सात वर्षों बाद चीन पहुंचे हैं। एससीओ शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चल रहा है। इसमें 20 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष और शासन प्रमुख भाग ले रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात का है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा