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दरभंगा, 31 अगस्त (हि.स.)। बैका पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मेहबूब सिद्दीकी उर्फ़ पिंटू जी का निधन हाे गया। शनिवार की रात अचानक उल्टी-दस्त की शिकायत हुई, लेकिन किसी को अंदेशा नहीं था कि यह परेशानी जानलेवा साबित होगी। रविवार की सुबह उन्हें परिजन दरभंगा के निजी अस्पताल लेकर पहुँचे, जहाँ दोपहर करीब 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
करीब 45 वर्षीय मेहबूब सिद्दीकी अपने पीछे पत्नी और साढ़े तीन साल का एक बेटा छोड़ गए हैं। पांच भाइयों में वे तीसरे नंबर पर थे। उनके बड़े भाई और पूर्व अलीनगर विधानसभा प्रत्याशी डॉ. नसीम आज़म सिद्दीकी का रो-रोकर बुरा हाल है।
पिंटू अपने मिलनसार और हंसमुख स्वभाव के कारण इलाके में बेहद लोकप्रिय थे। वे सिर्फ़ एक जनप्रतिनिधि भर नहीं, बल्कि हर वर्ग के साथी और शुभचिंतक थे। ग़रीब-गुरबा की मदद से लेकर पंचायत की छोटी-बड़ी समस्याओं को सुलझाने में उनकी सक्रिय भूमिका रहती थी। बैका पंचायत की लगातार दूसरी बार मुखिया शाहिदा परवीन की जीत में उनकी मेहनत और रणनीति अहम रही। इस जीत ने उन्हें लोगों के बीच और मज़बूत पहचान दिलाई।
ग्रामीण बताते हैं कि वे हमेशा लोगों की ख़ुशी और ग़म में शामिल रहते थे। किसी का इलाज कराना हो, किसी की शादी-ब्याह की समस्या हो या पंचायत के विकास का मुद्दा—मेहबूब सिद्दीकी हर समय आगे खड़े नज़र आते थे। यही कारण है कि उनके निधन की खबर सुनते ही पूरा इलाका शोक में डूब गया।
शाम पाँच बजे उनका पार्थिव शरीर बैका गाँव पहुँचा। गाँव में जैसे ही उनका शव पहुँचा, लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाओं से लेकर बुजुर्ग तक की आँखें नम थीं। सोमवार को मिट्टी-पलीद की रस्म अदा की जाएगी।
दुःखद समाचार सुनते ही बड़ी संख्या में लोग उनके आवास पहुँचे। संवेदना प्रकट करने वालों में बीपीराओ खगेंद्र मोहन, नदियामी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि कन्हैया चौधरी, जिला परिषद सदस्य लाल सिंह, विक्रांत जी, नीतिश कुमार सिंह, संजय कुमार सिंह उर्फ़ पप्पू सिंह, पुरुषोत्तम झा, कर्मचारी सद्दाम हुसैन समेत सैकड़ों लोग शामिल थे।
मेहबूब सिद्दीकी के असमय निधन से बैका पंचायत ही नहीं, बल्कि पूरे तारडीह प्रखंड में शोक की लहर है। लोगों का कहना है कि उनका जाना समाज और राजनीति दोनों के लिए अपूरणीय क्षति है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Krishna Mohan Mishra