मखाना की खेती से पूर्वांचल के किसानों में जगी नई उम्मीद : सूर्य प्रताप शाही
अयोध्या, 31 अगस्त (हि.स.)। नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में मखाना की कटाई कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही तथा कुलपति कर्नल (डॉ.) बिजेंद्र सिंह की मौजूदगी में हुई। कृषि विवि में मखाना की खेती एक एकड़ भूमि में तीन तालाबों में की गई थी।
मखाना की खेती


अयोध्या, 31 अगस्त (हि.स.)। नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में मखाना की कटाई कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही तथा कुलपति कर्नल (डॉ.) बिजेंद्र सिंह की मौजूदगी में हुई। कृषि विवि में मखाना की खेती एक एकड़ भूमि में तीन तालाबों में की गई थी। मखाना की फसल की बुआई जनवरी माह में कराई गई थी। आठ माह बाद मखाना की कटाई की गई।

इस मौके पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि यह न केवल विश्वविद्यालय के लिए बल्कि पूर्वांचल के जल-जमाव वाले क्षेत्रों के लिए भी एक प्रेरणादायक पहल है। जनवरी माह में विश्वविद्यालय परिसर के तीन तालाबों में मखाना के बीज डाले गए थे। पौधों की कटाई/हार्वेस्टिंग का कार्य प्रारंभ हो चुका है। यह पूरी प्रक्रिया पूर्वी भारत में कृषि के लिए नए रास्ते खोल सकती है। मंत्री ने इस पहल के लिए कुलपति व पूरी टीम को बधाई दी। मंत्री ने उम्मीद जताया कि यह मॉडल आने वाले समय में पूरे पूर्वांचल में जल जमाव वाली ज़मीनों के लिए वरदान साबित होगा।

कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने बताया कि मखाना की कटाई (हार्वेस्टिंग) तालाबों में या लगभग तीन फीट पानी भरे खेतों में की जाती है, जिसमें पौधे रोपने के लगभग 6 महीने बाद फूल आने लगते हैं। अक्टूबर-नवंबर में फसल तैयार होकर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। किसान अगस्त-सितंबर में लकड़ी की टोकरी का उपयोग करके पानी से बीज निकालते हैं, जिन्हें बाद में मसलकर, धूप में सुखाकर, छाँटकर और फिर भुनाई करके तैयार किया जाता है। उन्होंने उद्यान एवं कृषि महाविद्यालयों के संबंधित वैज्ञानिकों को मखाना हार्वेस्टिंग के प्रशिक्षण प्राप्त करने के निर्देश भी दिए। मखाना के खेती की हार्वेस्टिंग दरभंगा (बिहार) से आए विशेषज्ञ किसानों द्वारा की गई। इस अवसर पर इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, वैज्ञानिक एवं कर्मचारी मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय