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जींद, 31 अगस्त (हि.स.)। टपरीवास कालोनी में विमुक्त घुमंतू जनजाति कल्याण संघ ने रविवार को 74वां विमुक्ति दिवस मनाया। जिसकी अध्यक्षता मास्टर सुनील ने की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप सोम कुमार वरिष्ठ अधिवक्ता विभाग प्रचार प्रमुख (आरएसएस) मौजूद रहे। उन्होंने घुमंतू समाज के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पहले इन जातियों ने मुगलों के धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई लड़ी। सैन्य दृष्टि से हथियार बनाना, जासूसी करना, सैनिकों का नृत्य से मनोरंजन और गायन से उत्साह व पराक्रम वंदन, योद्धा के रूप में फिर अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ गोरिल्ला युद्ध के माध्यम से सीधी टक्टर ली। देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने घरों को छोड़ दिया था। परंतु अपनी चोटी व बेटी नही दी। घुमंतू जीवन स्वीकार किया।
वास्तव में घुमंतू समाज सांस्कृतिक योद्धा हैं। अंग्रेजी सरकार ने इन जातियों के खिलाफ 12 अक्टूबर 1871 को महाराष्ट्र के गोबिंद डूम पर पहली बार क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट लगा दिया था। जिसका अर्थ था कि ये जातियां जन्म से ही अपराधी हैं। विडंबना ये रही कि भारत की आजादी के पांच साल 16 दिन बाद 31 अगस्त 1952 में इस एक्ट से विमुक्त किया गया। तब से यह दिन विमुक्ति दिवस के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है।
अनेक लोगों के नेतृत्व में इस एक्ट को खत्म करने के लिए संघर्ष किए गए। परंतु विमुक्त घुमंतू जनजाति कल्याण संघ ने समाज में जनजागरण करते हुए सरकार का इस ओर ध्यान दिलाया और 2015 में मनोहरलाल के नेतृत्व की हरियाणा सरकार ने इस एक्ट को समाप्त कर हरियाणा को देश का पहला राज्य बनाया। जहां से हैबिट्यूल ऑफेंडर एक्ट को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया। इस मौके पर राजेश कुमार, राजेश हेड़ी, डा. राजेश शाहपुर, विजय, गुलशन ग्रोवर, प्रकाश, दर्शन लाल, मिर्चू, शिवल, नानक आदि मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा