ठाणे,पालघर की वारली संस्कृति की उथलसर में दृश्यों में झलकी
मुंबई 30 अगस्त ( हि.स.) । वारली चित्रकला शैली के माध्यम से ठाणे और पालघर जिलों की पहचान दुनिया भर में फैली हुई है। हालाँकि जीव्या सोमा म्हसे ने वारली कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है, लेकिन उथलसर में महाराष्ट्र स्पोर्ट्स क्लब के अध्यक्ष योगेश भंडा
Warali culture reflected on paintings


Warali culture reflected on paintings


मुंबई 30 अगस्त ( हि.स.) । वारली चित्रकला शैली के माध्यम से ठाणे और पालघर जिलों की पहचान दुनिया भर में फैली हुई है। हालाँकि जीव्या सोमा म्हसे ने वारली कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है, लेकिन उथलसर में महाराष्ट्र स्पोर्ट्स क्लब के अध्यक्ष योगेश भंडारी की पहल पर आदिवासियों की वारली कला, उनके घरों और घरेलू सामग्रियों को मूल ठाणेकरों से परिचित कराने के लिए वारली संस्कृति और कला को जागृत करने वाला एक दृश्य निर्मित किया गया है।

महाराष्ट्र स्पोर्ट्स क्लब द्वारा पिछले 53 वर्षों से सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाया जा रहा है। जनार्दन वैती ने इस गणेशोत्सव की स्थापना की थी। योगेश भंडारी के नेतृत्व में गणेशोत्सव मंडल के पदाधिकारी सार्वजनिक गणेशोत्सव के साथ-साथ सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक मोर्चों पर भी काम कर रहे हैं। इस मंडल द्वारा हर साल विभिन्न दृश्य निर्मित किए जाते हैं। इस वर्ष, इस बोर्ड ने वारली चित्रकला को बढ़ावा देने और उसका प्रसार करने के उद्देश्य से एक आदिवासी झोपड़ी का दृश्य बनाया है। इस झोपड़ी की दीवारों पर प्राकृतिक रंगों से चित्रित चित्र, पेड़ और वन्य जीवन ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। विशेष रूप से, आदिवासी घरों में प्रकाश के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला दीपक रात के उजाले में अधिक आकर्षक लग रहा है। इस दृश्य को देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।इस बीच, यह बोर्ड पूरे वर्ष आदिवासी गांवों में शैक्षिक गतिविधियों को लागू करने के लिए एक अभियान चला रहा है। इसके एक भाग के रूप में, श्री गणेश के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों से फल, फूल और नारियल लाने के बजाय एक नोटबुक और एक कलम लाने की अपील की गई है। बोर्ड के अध्यक्ष योगेश भंडारी ने बताया कि एकत्रित शैक्षिक सामग्रियों को आदिवासी गांवों के स्कूलों में वितरित किया जाएगा।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा