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शिमला, 03 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में हरित आवरण बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए 100 करोड़ रुपये की राजीव गांधी वन संवर्धन योजना शुरू की है। इस योजना के तहत महिला मंडलों, युवक मंडलों, स्वयं सहायता समूहों और अन्य पंजीकृत समुदाय-आधारित संगठनों को पौधरोपण में जोड़ा जा रहा है, जिससे गांवों में रोज़गार के नए अवसर सृजित होंगे।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि इस योजना के माध्यम से बंजर वन भूमि पर पौधरोपण और रख-रखाव जैसे कार्य किए जाएंगे, जिससे हज़ारों ग्रामीणों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम मिलेगा। प्रत्येक संगठन को 5 हेक्टेयर तक खाली या बंजर वन भूमि दी जाएगी। वन विभाग अपनी नर्सरियों से अच्छी गुणवत्ता के पौधे उपलब्ध कराएगा और पौधरोपण की निगरानी करेगा।
उन्होंने कहा कि इस योजना में हर हेक्टेयर के लिए 1.20 लाख रुपये की धनराशि दी जाएगी और छोटे क्षेत्रों के लिए यह राशि भूमि के अनुपात में मिलेगी। पौधों के जीवित रहने की दर के आधार पर भी प्रति हेक्टेयर 1.20 लाख रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाएगी। सभी भुगतान सीधे समुदाय आधारित संगठनों के बैंक खातों में होंगे ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
प्रवक्ता ने कहा कि पौधों की जियो-टैगिंग और निगरानी के लिए एक विशेष पोर्टल भी बनाया जाएगा। योजना का उद्देश्य सिर्फ हरियाली बढ़ाना नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटना, मृदा को सुरक्षित करना, जल संरक्षण को बढ़ावा देना और ग्रामीणों की आमदनी बढ़ाना भी है। इससे स्थानीय लोगों में वन संरक्षण के प्रति जागरूकता भी आएगी और जैव विविधता को संबल मिलेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा