Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
पश्चिम चंपारण(बगहा),3 अगस्त(हि.स.)। विभागीय कुप्रबंधन के कारण नहरों में सिंचाई के लिए छोड़े गये पानी को नदी नालों में बहाये जाने तथा भूमिगत पेय जल का दोहन कर सिंचाई करने से होने वाले पर्यावरणीय दुष्परिणाम के सम्बन्ध में ,बिहार सरकार से सम्मानित पश्चिम चम्पारण जिला पर्यावरण मित्र गजेन्द्र यादव ने जिलाधिकारी धर्मेंद्र सिंह और अपर समाहर्ता,आपदा प्रबंधन को एक-एक आवेदन देकर अवगत कराया है।
गजेन्द्र यादव ने आवेदन में प्रार्थाना किया है कि धान का कटोरा कहे जानेवाले पश्चिम चंपारण जिला को आनेवाले आपदा से बचाया जाय। आवेदन में उक्त पदाधिकारियों को बताया है कि
पश्चिम चम्पारण में तिरहुत, त्रिवेणी एवं दोन, तीन बड़ी नहरों की उपस्थिति के बावजूद खेतों की सिंचाई अधिकतर भूमिगत जल के दोहन पर निर्भर है जो गंभीर चिन्ता का विषय है जिसके परिणाम भविष्य में दुःखद होंगे। तीनों नहरों की उपवितरणियां वर्षों से रख-रखाव, झराई सफाई एवं मरम्मती के अभाव और अतिक्रमित होने से से विलोपित एवं सिंचाई के लिए अक्षम हो चुकी हैं। निदान के लिए त्वरित एवं सार्थक पहल करके
जिला के किसानों को बर्बादी से बचाया जाय। वहीं गजेन्द्र यादव ने आगे बताया है कि उक्त दोनों पदाधिकारी समस्या को गंभीरता पूर्वक लिया है और कारवाई करने का आश्वासन दिया है।
हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद नाथ तिवारी
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द नाथ तिवारी