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अररिया, 03 अगस्त(हि.स.)।
आजादी के 75 वर्ष को पूरे देश ने तीन साल पहले अमृत महोत्सव के रूप में मनाया।लेकिन आज भी कई ग्रामीण इलाके विकास की बाट जोह रहे हैं।
आजादी के 78 साल बाद भी अड़राहा वार्ड संख्या एक की 250 मीटर की सड़क नहीं बन पाई। कच्ची सड़क केवल बदहाली की कहानी बयां कर रही है,बल्कि प्रशासनिक और राजनीतिक उदासीनता की मिसाल बन चुका है।जबकि यह सड़क गांव के लगभग एक हजार की आबादी को थाना,ब्लाक,अंचल अस्पताल,बाजार,स्कूल और आंगनबाड़ी जैसी बुनियादी सुविधाओं से जोड़ती है।हर साल की तरह इस साल भी बारिश शुरू होते ही रास्ता कीचड़ और जलजमाव से भर चुका है,जिससे यहां के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
खासकर महिलाओं, बच्चों, छात्रों और बुजुर्गों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। गांव की गर्भवती महिलाएं ऑटो, एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती है।बीमारों को कंधा पर उठाकर दलदल पार कराया जाता है और बच्चों को स्कूल जाने में कीचड़ में फिसलने का खतरा हर रोज बना रहता है।
स्थानीय निवासी और आज़ाद हिंद फौज संगठन के संयोजक प्रभात यादव ने इस मुद्दे को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह सड़क केवल रास्ता नहीं बल्कि गांव के लोगों की उम्मीद, ज़रूरत और अधिकार से जुड़ा सवाल है। यदि देश की राजधानी में एक घंटे की सड़क खराब हो जाए तो हड़कंप मच जाता है। लेकिन अड़राहा के इस सुदूर गांव में वर्षों से लोग कीचड़ से जूझ रहे हैं और किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारी को कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रभात यादव का कहना है कि पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर बीडीओ तक कई बार शिकायत की गई, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला, धरातल पर आज तक कुछ नहीं हुआ।नेताओं ने भी शुरू से गांव को छला है। बरसात के दिनों में यह रास्ता नरक में तब्दील हो जाता है, यहां से गुजरना किसी जोखिम से कम नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के तीन महीने वे मानो कर्फ्यू में जीते हैं, क्योंकि इस सड़क से बाहर निकलना, सामान लाना, मरीज को ले जाना सब कुछ एक जंग बन जाता है। कई बार गर्भवती महिलाएं समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाई हैं जिससे जटिल स्थितियां उत्पन्न हो गईं।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को इस सड़क से गुजरने की ज़रूरत नहीं है, इसलिए वे इसके हालात को नजरअंदाज करते हैं। यह स्थिति न सिर्फ इस गांव की है बल्कि पूरे फारबिसगंज प्रखंड की सच्चाई को उजागर करती है, जहां आज भी सैकड़ों गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।ग्रामीणों ने भी चेतावनी दी है कि यदि सड़क नहीं बनी तो वे स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडोत्तोलन के बजाय विरोध प्रदर्शन करेंगे और सरकार से सवाल पूछेंगे कि आखिर आज़ादी का क्या मतलब है जब बुनियादी सड़क तक नहीं बन पाई।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल कुमार ठाकुर