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नई दिल्ली, 3 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने 'दिल्ली स्कूल एजुकेशन (फीस निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक 2025' को अव्यवहारिक, भ्रमित करने वाला और जनविरोधी करार दिया है।
देवेंद्र यादव ने रविवार को विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (आआपा) की तरह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)भी शिक्षा सुधार के नाम पर सिर्फ दिखावा कर रही है। पांच महीने में मुख्यमंत्री यह तय नहीं कर सकी कि बिल को अध्यादेश के रूप में लाएं या विधानसभा में पेश करें। उनकी असमंजसता से साफ हो गया है कि शिक्षा को लेकर भाजपा सरकार की नीयत कितनी असंवेदनशील और अस्पष्ट है।
देवेंद्र यादव ने कहा कि पिछली आआपा की सरकार ने कभी भी निजी स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी रोकने के लिए कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं बनाई और यह विधेयक भी उसी पुरानी गलती को दोहरा रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन विधेयक 2025 का असली उद्देश्य निजी स्कूलों को नियंत्रण में लाना तथा अभिभावकों को भ्रमित करके मनमानी फीस वृद्धि के मुद्दे से जनता का ध्यान भटकाना है। यह किसी जनदबाव या जनाक्रोश की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश है। उन्होंने कहा कि डीपीएस द्वारका मनमानी फीस वसूलने जैसे मामलों की सच्चाई आज सभी के सामने है, लेकिन इस पर सरकार गंभीर कदम उठाने से बच रही है।
देवेंद्र यादव ने बताया कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन विधेयक में ऐसी व्यवस्था की गई है कि डिस्ट्रिक्ट फीस अपीलीट कमेटी के पास कोई शिकायत केवल तब ही की जा सकती है जब कम से कम 15 प्रतिशत अभिभावक सामूहिक रूप से आवेदन करें। इस प्रावधान से आम अभिभावक न्याय की पहुंच से दूर हो होगा और स्कूल प्रबंधन मनमानी करता रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फीस निर्धारण समितियों का गठन और सदस्यों का चयन पूरी तरह से स्कूलों के नियंत्रण में होगा। इससे पारदर्शिता समाप्त हो जाएगी और निष्पक्षता की कोई गारंटी नहीं रह जाएगी।
देवेंद्र यादव ने दिल्ली स्कूल एजुकेशन विधेयक 2025 को अभिभावक विरोधी और शिक्षा विरोधी करार देते हुए मांग की कि इसे तत्काल सुधार के लिए वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि अभिभावकों, शिक्षाविदों और छात्रों सहित सभी पक्षों से संवाद कर एक व्यावहारिक, पारदर्शी और न्यायसंगत कानून लाया जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव