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भागलपुर, 28 अगस्त (हि.स.)। भागलपुर को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा लगातार खोखला साबित हो रहा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपए खर्च कर शहर के विभिन्न इलाकों में दर्जनों ई टॉयलेट बनाए गए थे लेकिन आज उनकी हालत किसी से छिपी नहीं है। शहरवासियों को राहत देने के बजाय ये ई टॉयलेट परेशानी का सबब बन गए हैं।
सैंडिस कंपाउंड सहित शहर के कई स्थानों पर बने ई टॉयलेट या तो पूरी तरह टूट चुके हैं या बंद पड़े हैं। खासकर सैंडिस कंपाउंड स्थित योग स्थल के समीप बना ई टॉयलेट अब खंडहर का रूप ले चुका है। टूटे दरवाजे, गंदगी और बदहाल स्थिति देखकर कोई वहां जाना भी नहीं चाहता। स्थिति यह है कि यदि किसी व्यक्ति को अचानक शौचालय की जरूरत पड़ जाए तो उन्हें घर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्मार्ट सिटी द्वारा टॉयलेट बनाने के बाद उसकी देखरेख और रखरखाव पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया। परिणाम यह हुआ कि करोड़ों खर्च करने के बावजूद आज ये टॉयलेट सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं। उधर, स्मार्ट सिटी प्रशासन लगातार भागलपुर को स्मार्ट बनाने के दावे करता हैं, लेकिन जमीनी हकीकत उन दावों की पोल खोल रही है।
लोगों का सवाल है कि जब बुनियादी सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं कराई जा रहीं, तो आखिर स्मार्ट सिटी का मतलब क्या रह जाता है। भागलपुर की ये तस्वीर साफ दिखाती है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर सिर्फ प्रचार हो रहा है, जबकि असलियत में जनता मूलभूत सुविधाओं से अभी भी वंचित है।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर