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नई दिल्ली, 27 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि विकसित भारत का सपना शिक्षकों की तपस्या, मेहनत और मार्गदर्शन के बिना पूरा नहीं हो सकता। उन्होंने बुधवार को बाल भारती स्कूल पूसा रोड की चाइल्ड एजुकेशन सोसाइटी द्वारा आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्यातिथि के रूप में भाग लेते हुए यह बात कही। इस कार्यक्रम में पद्मश्री आनंद कुमार(सुपर 30) के साथ स्कूल की कार्यकारिणी प्रिंसिपल और बच्चे भी उपस्थिति रहे।
मंत्री सूद ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि समय के साथ शिक्षकों की चुनौतियां भी बदली हैं। ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड से लेकर कंप्यूटर और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक से शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार आया है। आज हम एआई बेस्ड शिक्षा की बात कर रहे हैं, लेकिन शिक्षा का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों की मानसिक, बौद्धिक और भावनात्मक योग्यता को बढ़ाना ही है। उन्होंने सभी सम्मानित शिक्षकों और पुरस्कार प्राप्त करने वालों को बधाई दी।
सूद ने स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार निजी और सरकारी दोनों स्कूलों को अपना मानती है। निजी स्कूलों के साथ कोई टकराव या मतभेद नहीं है, परंतु सरकार के लिए मध्यवर्गीय अभिभावकों के हितों की रक्षा के लिए फीस विनियमन कानून लागू करना आवश्यक था, जिसको सरकार ने लागू भी किया है।
मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को विश्वस्तरीय बनाने का जो संकल्प लिया है, उस पर कई स्तरों पर काम किया जा रहा है। मंत्री ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार इस वर्ष 75 सीएमश्री स्कूल बना रही है। इन स्कूलों में कई तरह की उन्नत तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। इन स्कूलों में अब्दुल कलाम लैंग्वेज लैब होगी, एआई युक्त स्मार्ट क्लास होंगे, एआई बेस्ड अटेंडेंस की व्यवस्था, साइंस लैब्स, इंटरैक्टिव पैनल्स सहित बुनियादी और आधुनिक सुविधाएं होगी।
उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी से हम मुंह नहीं मोड़ सकते बल्कि टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर हम देश और समाज को आगे बढ़ा सकते हैं। कृत्रिम मेधा के बारे में मंत्री ने कहा की एआई का सफल प्रयोग ही एक सफल समाज की कुंजी है। यदि कृत्रिम मेधा का हम सही मायने में प्रयोग करेंगे तो वह हमारे दिन प्रतिदिन के जीवन को और अधिक विकसित बना देगा।
सूद ने कहा कि वर्तमान में दिल्ली के लगभग 18 लाख विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में और उतने ही निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। हमारा लक्ष्य है कि चाहे बच्चा किसी भी स्कूल में पढ़े, उसे विश्वस्तरीय शिक्षा और समान अवसर मिले।
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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव