थिएटर कमांड पर अंतिम निर्णय राष्ट्र हित में लिया जाएगा: सीडीएस
महू, 27 अगस्त (हि.स.)। देश में सेना के तीनों अंगों की एक संयुक्त थियेटर कमांड बनाने के मुद्दे पर तीनों सेनाओं में अलग अलग विचार हैं हालांकि रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सरकार सैन्य बलों के तकनीकी नवान्वेषणों एवं एकीकरण के पक्ष में दृढ़ है।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान


महू, 27 अगस्त (हि.स.)। देश में सेना के तीनों अंगों की एक संयुक्त थियेटर कमांड बनाने के मुद्दे पर तीनों सेनाओं में अलग अलग विचार हैं हालांकि रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सरकार सैन्य बलों के तकनीकी नवान्वेषणों एवं एकीकरण के पक्ष में दृढ़ है।

आर्मी वॉर कॉलेज में सैन्य मामलों पर सेमिनार 'रण संवाद' में ये बात उभर कर आयी। बुधवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान के समापन भाषण में थल सेना, वायु सेना एवं नौसेना के विचारों का स्वागत करते हुए कहा कि इस बारे में अंतिम निर्णय राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में ही होगा।

उन्होंने कहा कि नौसेना हमेशा थिएटरीकरण योजना के साथ रही है, लेकिन वायु सेना का मानना ​​है कि उसे कई थिएटर कमांडों में विभाजित करना निरर्थक है और इससे महत्वपूर्ण प्रणालियां बाधित होंगी।

इससे पहले दिन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में युद्ध, युद्ध कौशल और युद्ध​ लड़ाई पर मौजूदा तकनीकों में महारत हासिल करते हुए नए नवाचारों और अप्रत्याशित चुनौतियों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने ऑपरेशन​ सिंदूर को स्वदेशी प्लेटफार्मों, उपकरणों और हथियार प्रणालियों की सफलता का एक शानदार उदाहरण बताते हुए कहा कि यह मंच सिर्फ विचारों का आदान-प्रदान ​के लिए नहीं है, बल्कि सुरक्षा, नीति-निर्माण और तीनों सेनाओं के विभिन्न पहलुओं को समझने का एक अवसर है। ​यहां होने वाली​ चर्चाएं हमें यह सोचने का अवसर देंगी कि हम भारत को कैसे और अधिक सशक्त, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बना सकते हैं।

जनरल चौहान ने युद्ध, युद्ध कौशल और युद्ध कौशल पर सैन्य अभ्यासकर्ताओं के संवाद को संक्षेप में प्रस्तुत किया।​ उन्होंने युद्ध के उभरते क्षेत्रों की अनिवार्यताओं को स्पष्ट किया, जिसमें समुद्री अंतरिक्ष में विकास और एयरोस्पेस क्षेत्र के विस्तारित आयाम शामिल हैं, जो पारंपरिक हवाई क्षेत्र से लेकर निकट​ अंतरिक्ष, हाइपरसोनिक और निचली पृथ्वी की कक्षा तक फैले हुए हैं।​ उन्होंने साइबर युद्ध में नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए आधुनिक संघर्ष की बदलती गतिशीलता के साथ अनुकूलन और अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय थलसेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु​ सेना राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की पूर्ति के लिए निकट समन्वय में कार्य करती रहेंगी।​ ​

सीडीएस​ ने कहा, मुझे​ सेनाओं की 'एकीकरण' के बारे में थोड़ी बात करने दीजिए​, क्योंकि मैंने वास्तव में तीनों सेनाओं के बीच 'संयुक्तता' को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा था। आज मैं खुशी और विश्वास के साथ कह सकता ​हूं कि हम अपने मतभेदों के बारे में बहुत ही अनुकूल वातावरण में बात कर सकते हैं।​

जनरल चौहान ने कहा​ कि अलग-अलग और वैकल्पिक दृष्टिकोणों वाले बिना तनाव बढ़ाए दूसरों को धैर्यपूर्वक ​सुनें। भले ही आप किसी बात से असहमत हों, फिर भी ​यहां सैकड़ों मुद्दे हो सकते हैं​, जिन पर हम चर्चा कर सकते हैं। तीनों सेनाओं के बीच मतभेद हो सकते हैं, फिर भी हम उन मुद्दों पर ध्यान दे सकते हैं। मुझे लगता है कि यह बात बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे उम्मीद है कि इसका कुछ असर ​यहां मौजूद पूर्व सैनिकों पर भी पड़ा होगा। दरअसल, उनमें अपने-अपने क्षेत्रों की रक्षा करने की और भी ज़्यादा इच्छा है।​ अगर आपको कोई असहमति महसूस हुई है, तो मैं आपको विश्वास दिलाता ​हूं कि हम राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में इसका समाधान करेंगे।

​ उन्होंने तीनों सेनाओं ​के पेशेवराना अंदाज और परस्पर जुड़ाव को लेकर उनकी प्रतिबद्धता की सराहना ​करते हुए कहा कि ये सिद्धांत उभरते युद्धक्षेत्र में योजनाकारों, कमांडरों और ऑपरेटरों के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ के रूप में काम करेंगे।

सीडीएस जनरल चौहान की यह टिप्पणी भारतीय वायु​ सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ​की दिल्ली में एक संयुक्त योजना और समन्वय केंद्र की वकालत के बाद आई है, जिसमें सेना प्रमुखों और सीडीएस को शामिल किया गया हो, न कि थिएटरीकरण ​को। वायु सेना​ का मानना ​​है कि वायु संपत्तियों को तीन या अधिक थिएटर कमांड में विभाजित करना निरर्थक है और इससे महत्वपूर्ण प्रणालियां बाधित होंगी।​ वायु सेना अपने अभियानों की योजना केंद्रीय रूप से बनाती है और परिचालन आवश्यकताओं के आधार पर अपनी संपत्तियों को एक कमांड से दूसरी कमांड में आसानी से स्थानांतरित करती है।

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने अपनी ओर से इस बात पर ज़ोर दिया कि थिएटरीकरण ही सभी 'संयुक्तता' का अंतिम लक्ष्य है।​ नौसेना हमेशा से थिएटरीकरण योजना के पक्ष में रही है क्योंकि यह समुद्री थिएटर कमांड का नेतृत्व ​करके पूर्वी और पश्चिमी समुद्री सीमाओं की निगरानी करेगी।​

इस पर जनरल अनिल चौहान ने कहा​ कि कभी-कभी​ ऐसे प्रश्न होते हैं​, जिनका वास्तव में उत्तर नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा​ कि एकीकरण के स्तर को लेकर कुछ प्रश्न थे और आपको चीजों को तेज़ी से आगे बढ़ाने और इसे उच्च स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है। निश्चिंत रहें कि हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।

जनरल चौहान ने विशेष बल और एयरबोर्न एवं हेलीबोर्न संचालन के लिए संयुक्त सिद्धांतों का विमोचन किया।

कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और थल सेना उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह भी उपस्थित थे। तीनों सेनाओं की सक्रिय भागीदारी से एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय के डॉक्ट्रिन डायरेक्टरेट के तत्वावधान में तैयार किए गए ये सिद्धांत विशेष बल मिशनों और हवाई अभियानों के संचालन के लिए मार्गदर्शन, परिचालन अवधारणाओं और अंतर-संचालन ढांचे को निर्धारित करेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत टंडन

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