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वाराणसी, 27 अगस्त (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वैज्ञानिकों ने भारतीय पारंपरिक खाद्य विज्ञान और आधुनिक शोध के बीच एक अनूठा मेलजोल करते हुए एक अभिनव श्रीखंड उत्पाद विकसित किया है। यह श्रीखंड अश्वगंधा की जड़ के अर्क से समृद्ध है, और प्रयोगशाला परीक्षणों में इसने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, एंटीऑक्सीडेंट सक्रियता को बढ़ाने और साल्मोनेला संक्रमण को रोकने में महत्वपूर्ण परिणाम दिखाए हैं। इस शोध का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पत्रिका लेटर्स इन एनिमल बायोलॉजी में हुआ है, जो स्कोपस-इंडेक्स्ड और क्यू 2 श्रेणी की पत्रिका है।
यह शोधकार्य बीएचयू के प्रोफेसर दिनेश चंद्र राय के निर्देशन में हुआ, जो वर्तमान में भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। इस अध्ययन का नेतृत्व डॉ. अशोक कुमार यादव ने किया, जो वर्तमान में राजीव गांधी विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। डॉ. अमन राठौर (सहायक प्रोफेसर, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर) ने भी इस शोध में सहयोग किया।
—शोध का उद्देश्य और परिणाम
शोध का मुख्य उद्देश्य था श्रीखंड में अश्वगंधा जड़ अर्क को सम्मिलित कर उसके पोषण और औषधीय गुणों का मूल्यांकन करना। आयुर्वेद में अश्वगंधा को एक महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा वर्धक और स्वास्थ्यवर्धक औषधि के रूप में जाना जाता है। इसमें पाए जाने वाले जैविक यौगिक—जैसे एल्कलॉइड्स, फ्लेवोनॉयड्स और स्टेरॉइडल लैक्टोन—अपने एंटीऑक्सीडेंट, सूजनरोधी और रोगाणुरोधी गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं।
—शोधकर्ताओं ने 72 एल्बिनो चूहों को तीन समूहों में विभाजित किया
पहला समूह सामान्य आहार पर, दूसरा समूह सामान्य श्रीखंड पर और तीसरा समूह अश्वगंधा मिश्रित श्रीखंड पर था। 30 दिनों तक चलने वाले इस प्रयोग में यह पाया गया कि अश्वगंधा मिश्रित श्रीखंड खाने वाले चूहों का शरीर वजन और वृद्धि दर अधिक रही, रक्त में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हुआ और लाभकारी कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा। इसके अलावा, इनके शरीर में एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम की सक्रियता भी बढ़ी, जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में कमी आई।
—साल्मोनेला पर नियंत्रण
सबसे महत्वपूर्ण परिणाम यह था कि जिन चूहों को अश्वगंधा मिश्रित श्रीखंड दिया गया, उनके आंत और मल में साल्मोनेला बैक्टीरिया की संख्या काफी कम हो गई। इसके अलावा, उनके शरीर में इम्यूनोग्लोबुलिन्स और स्प्लीन लिम्फोसाइट्स की सक्रियता भी बढ़ी, जिससे यह पुष्टि हुई कि अश्वगंधा मिश्रित श्रीखंड एक प्राकृतिक इम्यूनोमॉड्यूलेटर की तरह कार्य करता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है।
प्रो. दिनेश चंद्र राय ने इस शोध की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह शोध कार्य कार्यात्मक खाद्य पदार्थों (फंगशनल फूड) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। आयुर्वेद की पारंपरिक अश्वगंधा और भारत के पारंपरिक दुग्ध उत्पाद श्रीखंड को मिलाकर हमने एक ऐसा खाद्य उत्पाद तैयार किया है, जो न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। मुख्य शोधकर्ता
डॉ. अशोक कुमार यादव के अनुसार साल्मोनेला और अन्य फूडबॉर्न रोगजनक आज वैश्विक स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बने हुए हैं। यह शोध दर्शाता है कि हम पारंपरिक और सांस्कृतिक रूप से स्वीकृत खाद्य पदार्थों का उपयोग करके इन समस्याओं से निपट सकते हैं। अश्वगंधा मिश्रित श्रीखंड रोजमर्रा के आहार में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का एक सरल और प्रभावी उपाय हो सकता है।
डॉ. अमन राठौर के अनुसार फंक्शनल फूड्स का वैश्विक बाजार तेजी से बढ़ रहा है, और अश्वगंधा मिश्रित श्रीखंड जैसे उत्पाद न केवल भारतीय परंपराओं से जुड़े हैं, बल्कि वे आधुनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति करने में भी सक्षम हैं। यह शोध भारत को पोषण और न्यूट्रास्यूटिकल नवाचार में अग्रणी बनाने में मदद करेगा। यह शोध न केवल स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों के व्यावसायिक विकास के लिए नए रास्ते खोलता है, बल्कि यह एंटीबायोटिक के अत्यधिक उपयोग पर निर्भरता घटाने और प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। अश्वगंधा और श्रीखंड जैसे आयुर्वेदिक पौधों को पारंपरिक खाद्य उत्पादों के साथ जोड़कर कार्यात्मक खाद्य पदार्थों का निर्माण भविष्य में न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा, बल्कि यह भारतीय खाद्य उद्योग को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिला सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी