भारत–नेपाल हिमालयी लोक संस्कृति परिषद दिसंबर में हल्द्वानी में वार्षिक संगोष्ठी आयोजित करेगी
नई दिल्ली, 27 अगस्त (हि.स.)। भारत–नेपाल हिमालयी लोक संस्कृति परिषद आगामी दिसंबर माह में उत्तराखंड के हल्द्वानी (नैनीताल) में वार्षिक संगोष्ठी का आयोजन करेगी। इस बार संगोष्ठी में पर्यावरण एवं लोक संस्कृति संरक्षण में महिलाओं की भूमिका पर विशेष फोकस रह
रविंद्र सिंह नेगी शांति उप्रेती  को सम्मानित करते हुए।


नई दिल्ली, 27 अगस्त (हि.स.)। भारत–नेपाल हिमालयी लोक संस्कृति परिषद आगामी दिसंबर माह में उत्तराखंड के हल्द्वानी (नैनीताल) में वार्षिक संगोष्ठी का आयोजन करेगी। इस बार संगोष्ठी में पर्यावरण एवं लोक संस्कृति संरक्षण में महिलाओं की भूमिका पर विशेष फोकस रहेगा। परिषद ने बुधवार को यहां प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक कार्यक्रम के दौरान यह जानकारी दी। इस अवसर पर भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक सहयोग, हिमालय क्षेत्र की परंपराओं और पर्यावरण संरक्षण पर विचार-विमर्श हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पटपड़गंज विधानसभा के विधायक रविंद्र सिंह नेगी ने कहा कि भारत और नेपाल केवल पड़ोसी राष्ट्र नहीं, बल्कि साझा संस्कृति, आस्था और परंपराओं से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि हिमालय हमें न केवल भौगोलिक दृष्टि से जोड़ता है, बल्कि यह पीढ़ियों की सांस्कृतिक स्मृतियों और लोककथाओं का भी आधार है।

नेगी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन हमारी पहचान को सशक्त करते हैं और आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जुड़ने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन के लिए भारत–नेपाल हिमालयी लोक संस्कृति परिषद की सराहना की।

इस अवसर पर नेपाल की लोकगायिका इब्सल संजयाल और उत्तराखंड रानीखेत की जिला पंचायत सदस्य शांति उप्रेती को उनके विशिष्ट योगदान के लिए विशेष हिमालय गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।

इब्सल संजयाल ने अपनी संस्कृति और लोकगायन की परंपरा के महत्व को रेखांकित करते हुए महिला सशक्तिकरण और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अपनी सक्रिय भूमिका का उल्लेख किया।

शांति उप्रेती ने जैविक खेती, ग्राम्य विकास और हिमालयी पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर अपने विचार रखते हुए कहा कि उत्तराखंड और नेपाल की संस्कृति एक-दूसरे की पूरक हैं और इसी आपसी सहयोग से ही हिमालय की धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित पहुंच सकते हैं।

इस अवसर पर वरिष्ठ लेखक, पत्रकार एवं इतिहासकार मदन मोहन सती, जो हाल ही में पर्वत शिरोमणि भगत सिंह कोश्यारी पुस्तक के लेखक का स्वागत किया गया।

अंत में परिषद के संस्थापक भुवन भट्ट ने सभी अतिथियों, मीडिया प्रतिनिधियों और सहयोगियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि भारत–नेपाल के बीच यह सांस्कृतिक सेतु केवल आज का नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर है। परिषद भविष्य में भी इस दिशा में कार्यक्रम आयोजित करती रहेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / माधवी त्रिपाठी