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गुवाहाटी, 27 अगस्त (हि.स.)। मां कामाख्या की पावन भूमि पर, स्वतंत्र भारत के सबसे शक्तिशाली, दृढ़, दूरदर्शी और निर्णायक राजनेता और असम के सच्चे शुभचिंतक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 29 अगस्त को असम के आगमन पर स्वागत करेंगे। ये बातें बुधवार काे असम प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी प्रवक्ता डॉ. देवजीत महंत ने कही।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के ग्रामोदय, आचार्य विनोबा भावे के सर्वोदय, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रोदय के विजन से प्रेरित होकर असम की जनता ने पंचायत चुनावों में भाजपा और एनडीए के प्रतिनिधियों को भारी बहुमत से जिताकर एक समृद्ध पंचायती राज आधारित असम के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया है। 29 अगस्त को गुवाहाटी के खानापाड़ा मैदान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सभी विजयी पंचायत प्रतिनिधियों को संकल्प पाठ की शपथ दिलाएंगे।
कांग्रेस-कालीन असम, जो उथल-पुथल से त्रस्त और बिखरा हुआ था, को एक शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और आधुनिक असम में बदलने के सच्चे निर्माता अमित शाह को बताते हुए, डॉ. महंत ने कहा कि बोडो बहुल क्षेत्रों में, कांग्रेस शासन के दौरान अनेक वार्ताओं और समझौतों के बावजूद, स्थायी शांति कभी स्थापित नहीं हो पाई। बोडोलैंड की भूमि बंदूकों, विस्फोटकों और हिंसा से तबाह रही। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा के दूरदर्शी नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में 27 जनवरी, 2020 को नई दिल्ली में भारत सरकार, असम सरकार, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन के बीच एक ऐतिहासिक स्थायी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
इसके अलावा, डॉ. महंत ने कहा कि 4 सितंबर, 2021 को हस्ताक्षरित कार्बी शांति समझौता; 15 सितंबर, 2022 को आदिवासी शांति समझौता; 29 दिसंबर, 2023 को डिमासा शांति समझौता और उल्फा शांति समझौता- ये सभी मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की पहल और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में संभव हुए हैं। इन समझौतों में निहित वादों को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार ने हाल ही में असम के लिए लगभग 4,000 करोड़ मंजूर किए हैं, जो एक अभूतपूर्व और युगांतकारी कदम है।
डॉ. महंत ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में असम और पूर्वोत्तर में लागू सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (अफ्सपा) को हटाने के लिए एक भी कदम नहीं उठाया गया। अमित शाह के नेतृत्व में इस दिशा में निर्णायक बदलाव किया गया। 31 मार्च, 2021 को, उनके नेतृत्व में और एक अप्रैल, 2022 से असम, मणिपुर और नगालैंड के बड़े हिस्से में अफ्सपा में ढील दी गई। आज के समय में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की पहल और गृह मंत्री अमित शाह की स्वीकृति से, असम के 24 जिलों और एक उप-मंडल से अफ्सपा हटा लिया गया है।
कांग्रेस ने 1962 और 1979 के बीच वृहत्तर असम को सात अलग-अलग राज्यों में विभाजित कर दिया, लेकिन इस विभाजन से उत्पन्न सीमा विवादों को कभी हल नहीं किया। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की दूरदर्शी पहल और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में, अंतरराज्यीय सीमा विवादों को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। 29 मार्च, 2022 को असम और मेघालय के बीच और 20 अप्रैल, 2023 को असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। परिणामस्वरूप, लंबे समय से चले आ रहे अंतरराज्यीय सीमा मुद्दे अब समाधान की ओर बढ़ रहे हैं।
असम प्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ. देवजीत महंत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की 24 और 29 अगस्त की आगामी यात्रा का हार्दिक स्वागत किया और उन्हें असम का सच्चा मित्र और आधुनिक असम के उदय में अग्रणी शक्ति बताया।----------------------------
हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय