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सिडनी/तेहरान, 26 अगस्त (हि.स.)। ईरान ने ऑस्ट्रेलिया द्वारा अपने राजदूत को निष्कासित करने के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए चेतावनी दी है कि इस कूटनीतिक कदम का ‘जवाबी असर’ होगा। यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब ऑस्ट्रेलिया ने ईरान पर सिडनी और मेलबर्न में यहूदी संस्थानों पर आगजनी के हमलों के पीछे होने का आरोप लगाया।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाकाई ने मंगलनार को साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम इन ऑस्ट्रेलिया के आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं। कूटनीतिक स्तर पर किसी भी अनुचित कार्रवाई का जवाब दिया जाएगा।”
बाकाई ने यह भी आरोप लगाया कि ऑस्ट्रेलिया का यह कदम घरेलू राजनीतिक दबाव का नतीजा है और हाल के गाजा युद्ध विरोधी प्रदर्शनों से ध्यान हटाने के लिए उठाया गया है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री को “कमजोर नेता” बताते हुए लिखा,
“ईरान पर लगाया गया आरोप बिल्कुल बेतुका है। यह कार्रवाई केवल फिलिस्तीन के लिए ऑस्ट्रेलियाई जनता के समर्थन की कीमत है। कैनबरा को यह समझना चाहिए कि वह युद्ध अपराधियों द्वारा संचालित शासन (इजराइल) को खुश करने की कोशिश कर रहा है।”
इससे पहले, ऑस्ट्रेलिया ने बड़ा फैसला लेते हुए ईरानी राजदूत अहमद सादेगी को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर उन्हें और तीन अन्य अधिकारियों को सात दिनों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने अपना दूतावास तेहरान में बंद कर दिया और अपने राजदूत को भी वापस बुला लिया। यह दूतावास 1968 से काम कर रहा था।
प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने बताया कि खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, पिछले साल अक्टूबर में सिडनी के बॉन्डी इलाके में एक कोशर कैफे में आग लगाने और दिसंबर में मेलबर्न के अदास इजराइल सिनेगॉग (Adass Israel Synagogue) पर बड़े पैमाने पर आगजनी का निर्देश ईरान ने दिया था। हालांकि इन हमलों में कोई हताहत नहीं हुआ था।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय