बरपेटा सत्र में महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की 456वीं तिरोभाव तिथि ‘कीर्तन महोत्सव’ के रूप में मनाई गई
बरपेटा (असम), 25 अगस्त (हि.स.)। असमिया साहित्य-संस्कृति, धर्म-दर्शन, समाज और संस्कृति के मूल प्रेरक शक्ति, वैष्णव धर्म प्रचारक जगत गुरु श्रीमंत शंकरदेव की तिरोभाव तिथि (पुण्य तिथि) महोत्सव आज पूरे राज्य के सत्रों और नामघरों में मनाया गया। गुरुजन के
बरपेटा सत्र में महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की 456वीं तिरोभाव तिथि ‘कीर्तन महोत्सव’ के रूप में मनाई गई


बरपेटा (असम), 25 अगस्त (हि.स.)। असमिया साहित्य-संस्कृति, धर्म-दर्शन, समाज और संस्कृति के मूल प्रेरक शक्ति, वैष्णव धर्म प्रचारक जगत गुरु श्रीमंत शंकरदेव की तिरोभाव तिथि (पुण्य तिथि) महोत्सव आज पूरे राज्य के सत्रों और नामघरों में मनाया गया।

गुरुजन के परम शिष्य माधवदेव द्वारा स्थापित ऐतिहासिक बरपेटा सत्र में भी महापुरुष शंकरदेव गुरुजन की 456वीं तिरोभाव तिथि महोत्सव आयोजित किया गया।

पूर्ण सत्रीय रीति-परंपरा के साथ बरपेटा सत्र में गुरुजन की तिरोभाव तिथि मनाई गई। इस अवसर पर आज सुबह से ही बरपेटा सत्र में भक्तों ने गुरुजन के प्रति श्रद्धा अर्पित करने के साथ ही सत्र के कीर्तनघर में नाम-प्रसंग में भाग लिया।

बरपेटा सत्र में शंकरदेव गुरुजन की तिरोभाव तिथि को कीर्तन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गुरुजन के कीर्तन महोत्सव के अवसर पर आज बरपेटा सत्र में सुबह गीत और भटिमा गाने के बाद घोषापाठ किया गया।

दूसरी ओर, सत्र के गायन-बयान ने गुरु-घाट प्रस्तुत कर भोज-व्यवहार अंक का रूपांकन किया। गुरुजन की तिरोभाव तिथि के अवसर पर बरपेटा सत्र में विविध सत्रीया प्रसंग और हरिनाम-कीर्तन की ध्वनियों से एक पवित्र आध्यात्मिक वातावरण व्याप्त हो गया।

सत्र के कीर्तनघर के भीतर गायन-बयान ने विविध सत्रीया रीति-परंपरा का प्रस्तुतीकरण किया और भक्तों ने प्रसंग में श्रद्धापूर्वक भाग लिया। गुरुजन की तिथि महोत्सव के अवसर पर आज सुबह से ही बरपेटा सत्र में बड़ी संख्या में लोगों का आगमन हुआ। सत्र के नवयुवक सत्रीयों ने भी प्रसंग में भाग लिया और भक्तों को आशीर्वाद-निर्माली प्रदान किया।

इसी बीच, शाम को सत्र में घोषा कीर्तन और व्यास कीर्तन का आयोजन किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर