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-महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की तिरोभाव तिथि धूमधाम से मनायी गयी
-दूसरे वैकुंठपुरी के रूप में सत्रभूमि माजुली हुआ परिवर्तित
-खोल-ताल, बोरगीत, नाम-प्रसंग से गूंज उठा माजुली क्षेत्र
माजुली (असम), 25 अगस्त (हि.स.)। महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की आज तिरोभाव तिथि (पुण्य तिथि) के अवसर पर सत्रभूमि माजुली आज दूसरे वैकुंठपुरी में परिवर्तित हो गया है। गुरु वंदना से माजुली का पूरा वातावरण गूंज उठा। माजुली के प्रत्येक सत्र और नामघर में प्रातः से लेकर दोपहर तक चारी नाम, चौदह प्रसंग, खोल-ताल और बोरगीत की मधुर ध्वनियों से वातावरण भक्ति रस में डूबा रहा।
माजुली के भोगपुर, उत्तर कमलाबाड़ी और नूतन कमलाबाड़ी सत्रों में चार दिवसीय कार्यक्रम के रूप में महापुरुष की तिथि को ‘कीर्तन महोत्सव’ के रूप में मनाया जा रहा है। पहले दिन चावल भोजनी (भोजन आयोजन), दूसरे दिन थापनी, आज मूल तिथि (मुख्य कीर्तन) और कल भांगनी आयोजित होगा। आज प्रातः से ही पूर्वागीत, नामघोषा, कीर्तनघोषा के साथ गायन-बयान, बिहू नृत्य, ओजापाली, कीर्तनिया आदि का भव्य आयोजन हुआ।
महापुरुष की तिथि माजुली के 33 सत्रों और 400 से अधिक नामघरों में मनाई जा रही है। हर जगह नाम-प्रसंग से वातावरण गुंजायमान है। सत्रभूमि माजुली आज वास्तव में दूसरे वैकुंठपुरी में परिणत हो गयी है।
ऐतिहासिक कमलाबाड़ी सत्र में गुरु शंकरदेव की तिथि को व्यापक और भव्य रूप से मनाया जा रहा है। कार्यक्रम चार दिवसीय है – चावल भोजनी, थापनी, मूल कीर्तन और भांगनी। कमलाबाड़ी सत्र का ‘गुरु कीर्तन’ वहां की संगीत-परंपरा का अभिन्न और अखंड हिस्सा है, जिसे प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी धूमधाम से प्रस्तुत किया जा रहा है। भक्ति-रस की धारा नामघर और सत्रों में प्रवाहित हो रही है। भक्तगण एकचित्त होकर कीर्तन-भक्ति में तल्लीन हैं।
माजुली के ऐतिहासिक बृहत्तर बोनगांव क्षेत्र में भी महापुरुष की तिथि मनाई गई। सुबह महिलाओं ने नाम-प्रसंग प्रस्तुत किया, जिसके बाद पुरुषों ने खोल-ताल सहित नाम-कीर्तन, भागवत पाठ, ‘छोटा दिहा-बड़ा दिहा नाम’ का आयोजन किया।
हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर