होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड और कांपीटेंसी बेस्ड क्वेशंस पर कार्यशाला शुरू
धर्मशाला, 25 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड में सोमवार को छह दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। यह कार्यशाला दो विषयों पर आयोजित की जा रही है। पहले चरण में 25 से 27 अगस्त तक होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड विषय पर कार्यशाला आयोजित की जाएगी।
होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड और कांपीटेंसी बेस्ड क्वेशंस पर कार्यशाला शुरू


धर्मशाला, 25 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड में सोमवार को छह दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। यह कार्यशाला दो विषयों पर आयोजित की जा रही है। पहले चरण में 25 से 27 अगस्त तक होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड विषय पर कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसके उपरांत 28 से 30 अगस्त तक कांपीटेंसी बेस्ड क्वेशंस पर कार्यशाला का आयोजन होगा। उद्घाटन कार्यक्रम बोर्ड कैंपस, धर्मशाला में सम्पन्न हुआ।

शिक्षा मंत्रालय की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत पारंपरिक अंकों और रिपोर्ट कार्ड की जगह होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड की अवधारणा लाई गई है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों की केवल अकादमिक उपलब्धियों को ही नहीं बल्कि उनकी कौशल क्षमता, व्यवहार, सृजनात्मकता, संचार, खेलकूद, कला और अन्य गतिविधियों को भी शामिल करके समग्र मूल्यांकन करना है। विशेष बात यह है कि होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड के माध्यम से बच्चों का समग्र डेटा अब डिजिटल फार्म में उपलब्ध होगा। इसमें बच्चे के स्वास्थ्य से लेकर यह तक दर्ज होगा कि वह किस विषय में कमजोर है। इससे शिक्षकों और अभिभावकों को विद्यार्थियों की प्रगति का स्पष्ट और त्वरित आकलन करने में आसानी होगी। पूरा प्रोसेस अब डिजिटल प्लेटफार्म पर होगा, न कि केवल फिजिकल रिपोर्ट कार्ड पर। इसी प्रकार, कांपीटेंसी बेस्ड क्वेशंस का उद्देश्य छात्रों को केवल रटने तक सीमित न रखकर विषय की गहराई से समझ विकसित करना है। ऐसे प्रश्न विद्यार्थियों के ज्ञान को प्रयोग में लाने की क्षमता, समस्या-समाधान और तर्कशक्ति को परखने के लिए तैयार किए जाएंगे।

हर विषय के अंक भी होंगे शामिल

होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड की विशेषता यह होगी कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के प्रत्येक विषय में प्राप्तांक भी इसमें शामिल किए जाएंगे। इसके माध्यम से यह आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि बच्चा किस विषय में कमजोर है और किन क्षेत्रों में उसे अधिक मेहनत की आवश्यकता है। यह पूरा डेटा डिजिटल स्वरूप में उपलब्ध होगा, जिससे अभिभावक और शिक्षक दोनों ही बच्चों की प्रगति का स्पष्ट आकलन कर सकेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया