(लीड) भारत एवं फिजी के बीच रणनीतिक सहयोग बढ़ाने के लिए हुई ठोस पहल
नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। भारत एवं प्रशांत महासागर के भारतवंशी बहुल फिजी ने रक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कृषि-प्रसंस्करण, व्यापार एवं निवेश, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास, सहकारिता, संस्कृति, खेल, शिक्षा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में एक व्यापक साझी
(लीड) भारत एवं फिजी के बीच रणनीतिक सहयोग बढ़ाने के लिए हुई ठोस पहल


नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। भारत एवं प्रशांत महासागर के भारतवंशी बहुल फिजी ने रक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कृषि-प्रसंस्करण, व्यापार एवं निवेश, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास, सहकारिता, संस्कृति, खेल, शिक्षा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में एक व्यापक साझीदारी के लिए मिल कर काम करने का संकल्प जताया। दोनों देशों ने एक खुले, समावेशी, स्थिर, संप्रभु और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए फिजी के हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) में शामिल होने का स्वागत किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत की यात्रा पर आये फिजी के प्रधानमंत्री सितिवेनी राबुका के बीच सोमवार को यहां हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय बैठक में ये फैसले लिये गये। प्रधानमंत्री श्री राबुका 24 से 26 अगस्त तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर कल शाम यहां पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नी, देश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा मंत्री एंटोनियो लालबालावु और फिजी गणराज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल भी आया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री राबुका और उनके प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया।

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय मामलों के व्यापक दायरे और आपसी हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर व्यापक और दूरगामी प्रभावों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने आपसी संबंधों में प्रगति पर संतोष व्यक्त किया तथा रक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कृषि-प्रसंस्करण, व्यापार एवं निवेश, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास, सहकारिता, संस्कृति, खेल, शिक्षा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में एक व्यापक, समावेशी और दूरदर्शी साझीदारी बनाने के अपने संकल्प की पुष्टि की। फिजी में भारत के सहयोग से स्वास्थ्य एवं चिकित्सा और पर्यटन के बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर महत्वपूर्ण सहमति कायम हुई है लेकिन भारत से फिजी के लिए सीधी उड़ान शुरू करने को लेकर कोई ठोस पहल नहीं हो पायी।

बैठक के दौरान सुवा में 100-बेड वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने सहित 8 समझौते हुए और 17 घोषणाएं की गईं। इन समझौतों में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, साइबर सुरक्षा, मानकीकरण और रक्षा सहयोग से जुड़े करार शामिल हैं। इसमें फिजी में दवाओं की आपूर्ति, कौशल विकास तथा त्वरित प्रभाव परियोजनाओं को लागू करने में सहयोग के करार भी महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों ने मानव संसाधन क्षमता निर्माण, तकनीकी सहयोग और गतिशीलता बढ़ाने के लिए भी करार किए। भारत ने फिजी को दो समुद्री एम्बुलैंस, 12 कृषि ड्रोन और 2 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं भी प्रदान करने की घोषणा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा कि भारत प्रशांत द्वीप देश से सहायता में फिजी को एक हब के रूप में देखता है। हम दोनों स्वतंत्र, खुले, समावेशी, सुरक्षित और समृद्ध हिन्द प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करते हैं। प्रधानमंत्री राबुका की 'शांति का महासागर', एक बहुत ही सकारात्मक सोच है। भारत की हिन्द प्रशांत महासागर पहल से जुड़ने के लिए भारत फिजी का स्वागत करता है।

उन्होंने कहा, भारत और फिजी भले ही महासागरों से अलग हों, लेकिन हमारी आकांक्षाएं एक ही नाव पर सवार हैं। हम ग्लोबल साउथ के विकास यात्रा में भी सहयात्री हैं। हम एक ऐसे विश्व व्यवस्था के निर्माण में भागीदार हैं, जहां वैश्विक दक्षिण की स्वतंत्रता, विचारों और पहचान को सम्मान मिलता है। हमारा मानना ​​है कि किसी भी आवाज को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी देश को पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक, हमारी साझीदारी समुद्रों के बीच एक पुल की तरह है। इसकी जड़ें वेइलोमनी में हैं और यह विश्वास और सम्मान पर आधारित है।

विदेश मंत्रालय की सचिव (दक्षिण) डॉ. नीना मल्होत्रा ​​ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस यात्रा की जानकारी देते हुए कहा, यह प्रधानमंत्री राबुका की भारत की पहली यात्रा है। हाल के दिनों में भारत और फिजी के बीच कई उच्च-स्तरीय यात्राएं हुई हैं। राष्ट्रपति ने 2022 में फिजी का दौरा किया था। उस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री राबुका ने राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने मई 2023 में प्रधानमंत्री राबुका से मुलाकात की थी। फिजी, अपने महत्वपूर्ण भारतीय प्रवासियों और भारत के साथ ऐतिहासिक संबंधों के साथ, विशेष महत्व रखता है। विकास सहायता हमारे द्विपक्षीय सहयोग का प्रमुख स्तंभ है। डॉ. मल्होत्रा ​ने कहा, फिजी ने आतंकवाद की निंदा करने में भारत का समर्थन किया है। आज भी, उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत को अपना समर्थन दिया है। फिजी चाहता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में नेतृत्वकारी भूमिका निभाए।

द्विपक्षीय यात्रा के बारे में विदेश मंत्रालय के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों नेताओं ने हाल के वर्षों में द्विपक्षीय आदान-प्रदान में आई तेजी पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की अगस्त 2024 में फिजी की पहली ऐतिहासिक यात्रा भी शामिल है। उन्होंने फरवरी 2023 में फिजी के नाडी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन की सफल मेजबानी को याद किया, जिसमें भारत और फिजी के बीच साझा भाषाई और सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाया गया। नेताओं ने भारत और फिजी के बीच गहरे और दीर्घकालिक संबंधों तथा मज़बूत जन-जन संबंधों की पुष्टि की। उन्होंने फिजी की बहुसांस्कृतिक पहचान, विविध समाज और अर्थव्यवस्था को आकार देने में गिरमिटिया समुदाय के योगदान को स्वीकार किया, जो 1879 और 1916 के बीच फिजी पहुँचे 60 हजार से ज़्यादा भारतीय गिरमिटिया मज़दूर थे। प्रधानमंत्री राबुका ने मई में 146वें गिरमिट दिवस समारोह में भाग लेने के लिए विदेश एवं कपड़ा राज्यमंत्री पबित्रा मार्गेरिटा की फिजी यात्रा की सराहना की। नेताओं ने जुलाई 2025 में विदेश कार्यालय परामर्श के छठे दौर के सफल आयोजन का भी उल्लेख किया।

संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग को मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त की और आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की। दोनों नेताओं ने पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई; आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति दोहराई और आतंकवाद पर दोहरे मानदंडों को अस्वीकार किया। दोनों देशों ने कट्टरपंथ का मुकाबला करने, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने, आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नई और उभरती तकनीकों के दोहन को रोकने और संयुक्त प्रयासों एवं क्षमता निर्माण के माध्यम से आतंकवादी भर्ती और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध से निपटने की आवश्यकता को स्वीकार किया। दोनों पक्ष आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर मिलकर काम करने पर सहमत हुए।

संयुक्त वक्तव्य के अनुसार दोनों नेताओं ने भारत के मिशन लाइफ और प्रशांत महासागरीय महाद्वीप के लिए 2050 की रणनीति की भावना में जलवायु कार्रवाई, लचीलापन निर्माण और सतत विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) में फिजी की सदस्यता की सराहना की। नेताओं ने आईएसए के भीतर बढ़ते सहयोग का स्वागत किया, जिसमें आईएसए के साथ त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन के माध्यम से फिजी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में एक स्टार-केंद्र की आगामी स्थापना और फिजी में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सौर परिनियोजन को बढ़ाने के लिए देश साझेदारी ढांचे पर हस्ताक्षर शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण और वैश्विक मंचों पर वकालत के माध्यम से सीडीआरआई ढांचे के भीतर फिजी के राष्ट्रीय लचीलापन लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।

संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि नेताओं ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) के ढांचे के भीतर जैव ईंधन को एक स्थायी ऊर्जा समाधान के रूप में बढ़ावा देने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की। गठबंधन के संस्थापक और सक्रिय सदस्यों के रूप में, दोनों पक्षों ने ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और समावेशी ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने में जैव ईंधन की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। वे फिजी में स्थायी जैव ईंधन उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और नीतिगत ढाँचों पर सहयोग को मज़बूत करने पर भी सहमत हुए। दोनों देशों के नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर वृद्धि की सराहना की और भारत तथा फिजी के बीच व्यापार एवं निवेश की प्रचुर अप्रयुक्त क्षमता को मान्यता दी।

संयुक्त वक्तव्य के अनुसार एक मजबूत, समावेशी और टिकाऊ हिंद-प्रशांत आर्थिक संरचना के लिए अपने साझा दृष्टिकोण को दोहराते हुए दोनों नेताओं ने आपसी समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने एक्ट ईस्ट नीति के तहत फिजी सहित प्रशांत द्वीप देशों के साथ भारत के बढ़ते जुड़ाव, भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग (एफआईपीआईसी) के लिए कार्रवाई-उन्मुख मंच और प्रशांत द्वीप समूह मंच (पीआईएफ) में संवाद भागीदार के रूप में भारत की भागीदारी को स्वीकार किया। मई 2023 में आयोजित तीसरे एफआईपीआईसी शिखर सम्मेलन के परिणामों को याद करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने फिजी की प्राथमिकताओं को केंद्र में रखते हुए व्यापक पहलों के माध्यम से क्षेत्र में विकास साझीदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। स्वास्थ्य सेवा को एक प्रमुख प्राथमिकता क्षेत्र के रूप में पुष्टि करते हुए, दोनों नेताओं ने सुवा में 100-बेड वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के डिजाइन, निर्माण, कमीशनिंग, संचालन और रखरखाव पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का स्वागत किया।

संयुक्त वक्तव्य के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल मई में भारतीय फार्माकोपिया को मान्यता देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया, जिससे दवा क्षेत्र में सहयोग मजबूत होगा और फिजी गणराज्य में गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती स्वास्थ्य सेवा उत्पादों और सेवाओं तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित होगी। उन्होंने कम लागत वाली जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए फिजी में जन औषधि केंद्रों की स्थापना के लिए भारत के समर्थन की भी पुष्टि की। नेताओं ने 13 अगस्त को भारत और फिजी के बीच स्वास्थ्य पर तीसरे संयुक्त कार्य समूह की बैठक के आयोजन का स्वागत किया, जिसके दौरान भारत की प्रमुख टेलीमेडिसिन पहल, ई-संजीवनी के तहत दूरस्थ स्वास्थ्य सेवाओं को सुविधाजनक बनाने और भारत और फिजी के बीच डिजिटल स्वास्थ्य संपर्क बढ़ाने के लिए सहयोग पर चर्चा की गई। स्वास्थ्य सहयोग को मजबूत करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने फिजी में आयोजित होने वाले दूसरे जयपुर फुट शिविर की घोषणा की। भारत, फिजी के विदेशी चिकित्सा रेफरल कार्यक्रम के पूरक के रूप में 'हील इन इंडिया' कार्यक्रम के अंतर्गत 10 फिजीवासियों को भारतीय अस्पतालों में विशेषीकृत/तृतीयक चिकित्सा देखभाल सेवाएं भी प्रदान करेगा।

वक्तव्य में कहा गया कि भारत-फिजी सहयोग की आधारशिला के रूप में विकास साझीदारी की पुष्टि करते हुए, नेताओं ने फिजी में पहली त्वरित प्रभाव परियोजना (क्यूआईपी) के लिए तुबालेवु गांव भूजल आपूर्ति परियोजना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया, जैसा कि भारत ने 2024 में टोंगा में आयोजित 53वें प्रशांत द्वीप समूह फोरम नेताओं की बैठक में घोषणा की थी, जो स्थानीय समुदायों के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था को सक्षम करेगा। इसके अलावा दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों में बढ़ती गति को स्वीकार किया। उन्होंने क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने में अपने साझा हितों के महत्व पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 में हस्ताक्षरित रक्षा सहयोग समझौता ज्ञापन में उल्लिखित सहयोग के प्राथमिक क्षेत्रों को आगे बढ़ाने और इन क्षेत्रों में फिजी की रणनीतिक प्राथमिकताओं का समर्थन करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। नेताओं ने रक्षा पर संयुक्त कार्य समूह के कार्य के परिणामों का स्वागत किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान, सैन्य चिकित्सा, श्वेत नौवहन सूचना विनिमय और फिजी गणराज्य के सैन्य बलों के लिए क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना शामिल है।

संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि नेताओं ने मौजूदा रक्षा सहयोग पर संतोष व्यक्त किया और रक्षा एवं समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए, इन संबंधों को और मज़बूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री राबुका ने फिजी के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) की सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया और फिजी गणराज्य की सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु सहायता प्रदान करने के भारत के आश्वासन का स्वागत किया। प्रधानमंत्री राबुका ने फिजी में एक भारतीय नौसैनिक जहाज के नियोजित आगमन का स्वागत किया, जिससे समुद्री सहयोग और अंतर-संचालन क्षमता बढ़ेगी। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा प्रयासों में तेज़ी लाने और क्षेत्र में पारस्परिक लाभ तथा शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई पहलों के माध्यम से रक्षा सहयोग को और गहरा करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

प्रधानमंत्री मोदी ने फिजी के सैन्य बलों को दो एम्बुलेंस उपहार में देने और सुवा स्थित भारतीय उच्चायोग में रक्षा विंग की स्थापना की घोषणा की। साइबर सुरक्षा दोनों देशों के बीच सहयोग का एक उभरता हुआ क्षेत्र है, इसे देखते हुए, नेताओं ने फिजी में साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण प्रकोष्ठ की स्थापना का स्वागत किया। उन्होंने वर्तमान और उभरती चुनौतियों, विशेष रूप से समुद्री, मानवीय सहायता और आपदा राहत और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में समाधान के लिए सहयोग की महत्वपूर्ण संभावनाओं पर बल दिया।

संयुक्त वक्तव्य में दोनों नेताओं ने भारत और फ़िजी के बीच प्रवासन और गतिशीलता पर आशय घोषणापत्र पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। इससे दोनों देशों के बीच पेशेवरों और छात्रों की आवाजाही सुगम होगी।

दोनों नेताओं ने हिंदी अध्ययन केंद्र के विकास में सहयोग के लिए फिजी विश्वविद्यालय में एक हिंदी-सह-संस्कृत शिक्षक की नियुक्ति का स्वागत किया, जिससे भाषाई और सांस्कृतिक संबंधों को और बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में फिजी के पंडितों के एक समूह को प्रशिक्षण देने के लिए भारत के सहयोग की भी घोषणा की, जो इस वर्ष के अंत में भारत में आयोजित होने वाले 'अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव' 2025 में भी भाग लेंगे। भारत में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 के साथ ही फिजी में भी एक अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / सचिन बुधौलिया